गुरुवार, 7 अप्रैल 2016

जकडे रखुं पुराने को या बदलते वक्त के साथ चलें..............

ये गाँव वो गाँव हर गाँव का समस्या यही मिला

जकड़े रखुँ पुराने को या बदलते वक्त के साथ चलुँ

~ ~ ~ ~ ~ ~ ~ ~ ~ ~ ~ ~ ~ ~

कल हमारे वार्ड मेँ रात 12 बजे #दंडनाच का आयोजन हुआ,
वहीँ गाँव के दुसरे छोर पर सामाजिक नाटक का मँचन हो रहा था । अब इसबात से कुछ दर्शककोँ के मन मेँ द्वन्द उत्पन होना आम बात हे की वो क्या देखने जायेगेँ ।
ज्यादातर लोगोँ के द्वारा वजाय पौराणिक नाटक देखने के सामाजिक नाटक को ज्यादा महत्व दिया गया और इधर #दंडनाच जैसी प्राचीन कला को देखनेवाले इक्का दुक्का बुजुर्ग दर्शक बैठे थे ।

कल पौराणिक कथाओँ पर आधारित दंडनाच देखनेवालोँ मेँ से कुछ लोगोँ ने पश्चाते हुए बताया !
" वहाँ वेकार मेँ वक्त बर्बाद हुआ इसके बदले गर सामाजिक नाटक देखने जाते तो चिँकी या रिँकी से मिलते और उसे थोड़ा ड़ोले सोले दिखाकर इंप्रेस करते ।"
😂😂😂😂😂😂😂😂😂😂😂😂😂😂😂😂😂😂😂😂😂😂😂😂😂😂

कोई टिप्पणी नहीं:

एक टिप्पणी भेजें