रविवार, 1 सितंबर 2013

♥♥♥एक अनजान लड़की♥♥♥

♥♥♥एक अनजान लड़की♥♥♥

बात 2005 कि हे दशवीँ का परीक्षा चल रहे था । हमारे जमाने मेँ ( आजकल तो महिने भर मेँ एक युग हो जाता है ) दशवीँ का वोर्ड परीक्षा अलग स्कुल मेँ होते थे । आजकल यह परीक्षा व्यवस्ता वंद होगयी हे । हमारा सेँटर गिरा था अँलावेरेणी हाईस्कुल मेँ जो कॅपी सेँटर के नाम से जिला भर मेँ मशहुर हे । भाई हम तो खुश थे चलो कॅपी के दमपर हमारा नाव भी परीक्षा रुपक नदी से आर पार हो जायेगा परंतु मेरे परमपूज्य पिताजी के आदर्शो के वजह से हम सर्वथा असफल रहे । क्युँ कि यह स्कुल गाँओ से 7 Km. दुर हे और हम 21वी सदी के नौजवान हमनेँ तय करलिया हम चलते हुए या किसी बस मेँ सफर नहीँ करेगेँ । तो मेरा क्लासमेँट प्रकाश के साथ उसके भाई के वाईक पर सबार होकर हम परीक्षा देने चलदिये । पहला दिन का विषय था साहित्य !सोचो अगर आजका शिशिर उस जमाने मेँ चलाजाय और वही Question paper मिलेँ तो वो अतिरिक्त पेपरोँ कि छडीँ लगा देँ परंतु हम उस समय साहित्य मेँ इतने रुचि नहीँ रखा करते थे । मेरा सीट Window के बिलकुल सामने था तो सब दोस्तोँ नेँ मेरे भाग्य कि तारिफ कि । वो जमाना ऐसा था मेँ पुरे सजधज के Exam देँने गया था हात मेँ घड़ी.अतर और नये चमकिले कपडे तथा जुता पहना हुआ बिलकुल भोलुराम लगरहा था । हॅल मेँ हमारे स्कुल के अलावा 3 अन्य स्कुलोँ के छात्र भी थे । तो क्या हुआ एक स्कुल के छात्र के आगे और पिछे अलग अलग स्कुलोँ के छात्र बिठाये गये थे ताकि कोई चिटिगँ न कर सके । परीक्षा शुरु हो गया कॅपी आने लगे हम सहित्य के प्रश्नोत्तर सुलझाने लगे कि एकाएक किसी की कोमल कंठ से निकलाहुआ मधुर बाक्योँ नेँ हमारा ध्यान भंग किया । वो दिखनेँ मेँ कैसी थी अब याद नहीँ परंतु वो मधुर आवाज मेँ कैसे भुल सकता हुँ ? उसने मुझे अनुरोध किया की Window के पास जो लड़का खड़ा है वो उसका भाई है वो जो कॅपी दे रहा हे मेँ लड़की को दे दुँ । मै बे मन से वो कॅपी लिया और देखते ही खुश हो गया अरे यही तो मुझे चाहिये था मेँ लिखने लगा । जब मैने सारे अक्षर उतार लिये वो कागज को मैने उस लड़की को दे दिया । मुझे लगा था वो गुस्सा करेगी पर ये क्या ? वो खुश हो गयी,शायद उसे इसकी उम्मिद न थी । फिर क्या था पुरे 8 दिन हमने एक दुसरे की मदद की फिर भी वो मेरे लिये अनजान रही उसका नामतक मुझे पता न था परंतु मेँ उसको इसतरह से मदद करता रहा जैसे उसके साथ मेरा कोई रिस्ता हो.... ! Exam कि आखरी दिन था परीक्षा खत्म हुआ मेँ आजाद पंछी के तरह हॅल से निकल रहा था कि किसीनेँ मेरा हात पकड़ लिया एक मिनिट के लिये मुझे ऐसा लगा जैसे कोई मुझे वंधन मेँ डाल रहा हो । ये वही अनजान लड़की थी जिसनेँ अपने कोमल हात से मेरे हात पकड रखा था और बड़े अधिकार से मुझे एक तरफ लै जा रही थी । इसके वाद मैने वो काम किया जिसके लिये मेँ आज भी खुद को दोशी मानता हुँ । हालाँकी मेँ शर्मिला हुँ मैने देखा लड़की अपने मातापिता के पास मुझे ले जा रही है मैने शर्म के मारे उससे हात छुडा लिया और वो अनजान लड़की जो सायद उसदिन अपनी परिचय देनेवाली थी मेरे इस मूर्खता से अनजान रहगयी । जल्दी हीँ छुटियाँ खत्म हुआ और हम हाईस्कुल से कोलेज पहँचगये नोलेज लेने । पहला दिन था क्लास चल रहा था प्रकाश,ललित,अरुण और मेँ एक साथ क्लास मेँ जा ही रहे थे की लडकियोँ मेँ से एक लड़की नेँ मुझे देखकर मुस्कारा दी । ये वही अनजान लड़कि थी जो एक साथ पढ़ने के बावजुद मेरे शर्मिले श्वभाब के कारण हमेशा एक अनजान लड़की ही बनी रही । शायद यही मेरी किस्मत है....वो अनजान बनी रहेँ, वो लड़की जिसका नाम पता मुझे पता नहीँ पर आज भी दिल की किसी कोने मेँ उसका मंदिर है और वो देवी बनकर सदा वहाँ बिराजमान रहेगी । ( no. 08128464971)

ये मेरी जिंदेगी...


यह मेरी जिँदेगी बरवाद हो गयी
तेरी प्यार मेँ जानेजाँ मेरी.......

अब ना हे मन मेँ गम
और ना ही हे खुशी....

.एक छाया हर जगह अजीव सी खामोशी.....(1)

यह मेरी जिँदेगी बरवाद हो गयी तेरी प्यार मेँ जाने जाँ मेरी.....

ये दिल का राजदाँ करुँ किससे मेँ बयाँ ? कोई सुनता ही नहीँ दर्द ए दास्ताँ मेरी....

.(2)

यह मेरी जिंदेगी बरवाद हो गयी तेरी प्यार मेँ जाने जाँ मेरी.....

क्या खोया क्या पाया हे क्युँ हिसाव मेँ करुँ तेरे प्यार के खातिर जान मेँ वार दुँ.......(3)

ये मेरी जिँदेगी बरवाद हो गयी तेरी प्यार मेँ जाने जाँ मेरी......

बस इतना सा ही हे फलसफा मेरी तेरे लिये जींदेगी कुरबान हो गयी

IIIIIIIIIIIIIIIIIIIIIIIIIIIIII90%
LOADING

आज

आज झोली खाली है,
भर जाय तो बता दुँगा......
लुट मचाने आ जाना...... ।

आज गरीब हुँ ,
जिदेंगी नेँ दिआ नहीँ लिया हे
जब देने लगे तुम आ जाना..... ।

आज कलम खामोश है,
तेरे लिये कोई कॅमेँट नहीँ,
लाइक से काम चला लेना ।


आज कोई संग नहीँ, कल कितने साथी मिलजायेगेँ, तुम फिकर न करना ।

आज मेँ भी हुँ तुम भी हो,
पर मिलना अब मुमकिन नहीँ,
तब कोशिश काहे करना ।