पास के जंगल मे रहनेवाला एक तोता
एकबार गलती से सहर मेँ आ धमका.....
वो तोता
ट्राफिक को चिरकर आगे बढ़ा जा रहा था
कि एक ट्रक
से टकरा कै
रस्ते के एक बाजु
वेहोश हो जा गिरा.....
ट्रक ड्राईवर नया नया ट्रक चला रहा था
उसको इस तोते पर दया आ गयी
तोते को पशुपक्षीओँ के खास मेडिकल मे ट्रिटमेँट कराया गया
और
काफी भागदौडी माथापच्ची के बाद
वो जाकर कै वो बच सका
लेकिन तोता
तब भी वेहोश हि था
और
उसे
उसी अवस्था मेँ पक्षीओँ के लिए बने खास पिँजरे मे रखागया
आखिरकार
तिन दिनोँ बाद
जब तोते को होश आया
वो क्या देखता है
वो तो
स्वयः पिँजरे मेँ कैद है !!!
तोता मन ही मन बुदबुदाया
ओह तेरिकी
ओह नो ! !
मैनेँ ट्रक को टक्कर मार दी थी
न.....
ड्राइवर जरुर मरमरा गया होगा
तभी मुझे जेल हो गया है ।
लेबल
- अनुवाद (3)
- कविता (47)
- काहानी (8)
- जीवन अनुभव (38)
- तर्क वितर्क (4)
- दिल से (16)
- पदचिन्ह (7)
- व्यंग्य (8)
- शब्द परिचय (7)
- हास्य कविता (1)
बुधवार, 28 सितंबर 2016
देहाती तोता
योद्धा
बाढ़, चक्रवात, अकाल , साहुकारोँ से लढ़नेवाले मेरे कृषक भाई भी है योद्धा ।
योद्धा भी है मेरे मजदूर भाई
उनके मशीन से कुस्ती लढ़ने से
देश कि अर्थनीति को मिलती है
मज़बुती
योद्धा है यहाँ हर वो नागरिक
जिसे देश से हो प्यार
जो देश के लिये जिना जानता है
और मरना भी
योद्धा बस वो नहीँ जिसने बंदुक तलवार के नौक पर
दुनिया तमाम जीत लिया
योद्धा वो भी है
हार कर युद्ध भी जिसने मिठे वोल से ही दिल जीत लिया
एक योद्धा इंसानोँ को मार सकता है
जीवन से सदा
के लिये
एक योद्धा कलमकार है
उसके खाए चोट से
दुशमन जिँते जी मर जाते है
योद्धा एक जाति नहीँ
न है किसी क्षेत्र विशेष के लोगोँ का औदा
योद्धा वे सभी है
हारते नहीँ
जो लढ़ते रहे अन्त तक सदा
सोमवार, 19 सितंबर 2016
नये भुत पुराने भुत
गर्मीओँ मे एक दिन वो अपने बेटे के साथ
सहर गया हुआ था
लौटते समय उसे
बड़े बड़े लाल आम ठेले पर दिखगये !
उसने 2 किलो आम खरीदा
ओर वाप बेटे घर कि ओर चल पड़े !
आज के तरह उन दिनोँ इतना गाड़ी मोटर तो था नहीँ
चलते चलते बाप बैटे थक हार कर
एक कुँए के पास आकै बैठ गये
थकान मिटाते हुए
वह
बृद्ध कृषक अपने बेटे को कहने
लगा
बेटा मैँ बृद्ध हो चुका हुँ
मुझसे 2गौ (आम) हजम न होगेँ
वरन तु 2 (आम) खा लै
मेरा एक से हो जाएगा
उस कुएँ के अंदर 3 भुत रहते थे
उन्होने पितापुत्र को 3 को खाने कि बातेँ सुनी
उन्हे लगा
ये पितापुत्र निश्चित ही कोई तान्त्रिक है
वो तिनोँ डर के मारे काँपने लगे
अब इससे पहले कि किशान रामहरि कुछ ओर कहपाता
वे कूपवासी तिनोँ भूत
उसके चरणोँ मे गिरकै
दया कि भिक माँगने लगे ।
किशान चालाक तो था ही
वो माज़रा क्या है
तुंरत समझते हुए भुतोँ से बोला
सुनो वे
रोज एक आद भुत न खाएँ
तो हमारे एडीओँ मे दर्द होने लगता है
फिर भी तुम इतना जोऱ दे रहे हो तो ठिक है
मेरे खेतोँ मे तुम्हेँ काम करना होगा
तभी तुम छोड़े जाओगे !
भुत वेचारे क्या करते
मजबुर थे
किशान के मजदूर बनने को राज़ी हो गये ।
ऐसे मेँ कुछ दिन बित गया ।
अब ये तिनोँ भुतोँ के कुछ मित्र भुत हुआ करते थे
जो कि रोज़ रातको
इनसे मिलने आते थे
गप्पे सप्पे होता था
ओर रात बितजाता था
उन नये भुतोँ ने इन तिनो भुतोँ को ढ़ुँडना शुरुकरदिया ।
एक दिन आखिरकार
नये भुतोँ को किशान के खेतोँ मे वे तिनोँ भुत गधा मजदूरी करते
दिख ही गये ।
एक नया भुत पुराने तिनोँ कूपवासी भुतोँ को भड़काने लगा !
क्युँ वे तुम तिनो बड़े बड़े डिँगे हाँकते थे
ओर अब क्या कर रहे हो ?
साला भुतोँ का काम होता है लोगोँ को डराना
और तुम ससुरे पिद्दी बनकै
मुफ्त मे खटरहे हो वे
तब
एक कूपवासी भूत ने
नये भुत कि बात काटते हुए बोला
धीरे बोल वे
अगर किशान जानगया
सालोँ तुम तो मरोगे
ही साथ मे हम भी
उसके निवाला बनेगेँ
ये सुनके नये भुतोँ कि टोली
ठहाके लगाके हँसने
लगे
ओर एक नया भुत हँसते हुए
बोला
ओ अच्छा
तो ये देख मेँ अदृश्य हुआ
देखता हुँ
किशान मेरा क्या कर लेगा ।
किसी कारणवशः कुछ घँटो बाद
किशान अपने बेटे के साथ खेत मे आता है ।
पितापुत्र
खेत से लगे
जामुन के पेड़ के नीचे
जिसके उपर सारे भुत
अदृश्य हो बैठे हुए थे
आकै खड़े होकर
आपसमे बातेँ करने लगे ।
अब
2 दिन पूर्व
किसान ने 2 नये बैल खरिदा था ।
सो उसने अपने बेटे से कहा
सुनो वो पुराने है
उन्हे एक दिन रेस्ट देते है
ये नये है
इनसे एक दिन काम करके
देखते है
अब जामुन के पेड़ मे अदृश्य हो बैठे नये भुत
डर कर किशान के चरणोँ मे आ गिरे
किसान समझगया
ओर बोला
जाओ माफ किया
तुमको
काम पर लगो वे
हारामखोरोँ
:-D :-D :-D :-D
( 25 साल पहले चंदामामा मे प्रकाशित
कहानी सामान्य बदलाव के साथ )
गुरुवार, 1 सितंबर 2016
People are'nt fake
fb is not real
not real anything here
so why you
just love fb my dear ?
why you
come every hour
in fb !
why you Search
your freinds
liked and coment
her/him posts
when fb is lots of
fake people
so why you send
them freind requests
i think
the real world is just
like fb
people are not fake
not fake thare thoughts
मैं देशद्रोही हो गया.....
जैसे अखलाक
बली चढ़ा धर्म के नाम
देश से बड़ा हो गया था
दीना माँझी लाश उठाए
अपने माटि समाज से
महान हो गये
कल तक
बाढ़ अकाल चक्रवात
ओर
तुम्हारे द्वेष घृणा से लढ़नेवाले
मेँ ,
मेरे Odia भाई बहन 4 करोड़
संवेदनहीन हो गये
दीना कि
एक बिवी क्या मरी
ये माहौल नफरतनुमा हो गया
मैँ बना
उनके नजरोँ मे
अब अलगाववादी
कलतक देशप्रेमी
अब देशद्रोही हो गया
निषाद
मानव मनमेँ एक बहुत ही विषैला तत्व पैदा होता रहता है
#घृणा
ये इतना ताकतवर है कि
धीरे धीरे जेनेटिकाली
मानव जिँस मे
घुस चुका है ।
अब चलिये 4000साल पुराने जमाने मे चलेँ
आर्यावर्त के पूर्वी भागमे कुछ आर्योँ को मछली खाने का शौक पड़ा
वे नाव बनाने कि कला विकशित करने तथा मछली पकड़ने मे
सिद्धहस्त हो गये ।
समुचे आर्यवर्त मे ताम्रलिप्ती का डंका बजने लगा
फिर क्या था
कुछ लोगोँ को ये गलत लगा
उन्होने इन लोगोँ को निषाद नाम दे दिया
कुछ हजार साल बाद इन पापी अधम लोगोँ पर राज करने के लिए
कुछ क्षत्रिय आए
ओर एक आद संघर्ष के बाद यहीँ के होकर रहगये
फिर वो जब इन लोगोँ के तरफदारी बचाव मे खड़े हुए
केन्द्रिय सत्ता ने इन क्षेत्रियोँ को एक नाम दे दिया
पतित क्षेत्रिय
जो बादमे
राजा उड्र के नाम से उड्र जाति कहलाया ।
अगले
1000साल मे
आर्यवर्त के हर ग्रंथ महाभारत रामायण मे
ये निषाद लोग हारते रहे कभी
दूर्योधन के हातोँ निषाद कन्याएं
अपमानित हुइ
कभी कर्ण आया निषादोँ को जीत कर लौटा
4थी ईसापूर्व आते आते
निषाद देश पर
नंदराजवंश राजकरता था
अगले
400 साल मे अशोक राजत्व तक
निषादोँ को घृणा द्वेष का पात्र बनाया गया ।
अबतक निषाद पराधीन होते थे
लोकतंत्रिक शासन से अब उनका लगाव कम हो गया था
उन्हे एक शक्तिशाली राजा नायक कि जरुरत हो रहा था
कौन कौन कौन ?
अन्त मे तलाश खत्म हुए ऐर
प्रमुख का पुत्र महामेघवाहन खारबेल को शासक बनाया गया
1म सदी मे विखरे पड़े अशोकान साम्राज्य को एक करके
रोमन्स को धूल चटाके
आर्यावर्त को गौरवानित बनाकर
वो सम्राट फिर संत बनगया ।
5वीँ सदी मे फिर एक निषाद का जन्म हुआ
ययाति (जजाति) केशरी
वो हालाँकि पूर्वी आर्यवत को ही एक करपाया ।
उसने 10000 ब्राह्मणगाँव बसाये
और
उन ब्राह्मणोँ ने फिर भारतीय ग्रथोँ मे उत्कलभूमि की तारिफोँ मे छड़ी लगा दीँ
वक्त बदलता गया
7वीँ सदी से 17वीँ सदी तक के काल मे आए अनगिनत उतार चढ़ाव के बीच
ये निषाद लोग अब
चीन जापान मिशर युरोप मलेशिया इंडोनेशिया मे व्यापार के साथ
धर्म प्रचार पाली संस्कृत भाषा फैला रहे थे ।
बड़े बड़े मंदिर आज भी उन देशोँ मे निषादलोगोँ कि अन्तिम निशानी के तौर पर जिर्णशिर्ण
पड़ा हुआ है ।
बहरहाल
निषादोँ ने विँधाचंल का घमँट तोड़ दिया !
उत्तर पश्चिम पूर्व आर्यावर्त के साथ दक्षिणी भाग के लोगोँ का
वर्षोँ के टुटे रिस्ते फिर जुड़े
निषादोँ कि पराक्रम से कुछ लोग जल भुन कै बैठे हुए थे
क्या करेँ
क्या करेँ
उन्होने एक पुरातन ऋषि का नाम आगे कर दिया
कहने लगे
पापी नीच दुराचारी
अभागे अनार्य
निषाद नहीँ
ये सब एक अकेल
अगस्य ऋषि कि करामात है
वे सागर को पिई गये
विँधाचंल को झुकादिया
उत्तर दक्षिण को एक करदिया
वगैरा वगैराह !
ये द्वेष कहीँ आपके DNA मे तो नहीँ ?
यदि होगा
आप आज भी हम निषादोँ को
सौतेले मानते होगेँ
सालाचमार कहते होगेँ ।
आपको यदि निषादोँ के देशमे कुछ भी अच्छा नहीँ दिखता हो
और आपका दिल चाहता हो
इनकी जमकर बुराई करुँ
समझ लिजिये
आपके DNA मे
ये प्राचीन द्वेष घृणा वाली गुण
आज भी है ।
उदवोधनी
#गंगा धोति थी केश जिसकी
#कृष्णा चरण तल
#श्मशान आज गरीबोँ का देश
यही वो #उत्कल
#लढ़ते थे कभी
#आतताय़ीओँ से
#धन देखकै
जलनेवालोँसे
आज #प्रकृति ही वैरी बनी है
कभी #जलमय मारे
कभी बिन जल
ये कितने #युग कि बात होगी
जऱा याद करना तुम याद करना
#हिमाचल के निचे
खड़े थे ये #जातिवीर
उठाए अपने #माथा
तुम भूला दिए हो वो #गाथा
#कलवर्ग #निजाम बना था
जब #हिन्दु द्वेषी
#गजपति वीर
#कपिलेन्द्र देव
हराए ,चढ़ाए उसको #फाँसी
दुर्वार गड़ #देवर_कोण्डा
गाए आज वही गाथा
#बारबाटी बीर दिए थे वहाँ
अपना उन्नत माथा
#याद कर याद करले तु आज
#शतगड़ कि #पवित्र_भूमि को
#अजेय_बंग सैन्य बाहिनी
गिर गये यहाँ
लौटे न अपने #वतन को
विजयी
#विजयनगर मागाँ था
उत्कलके चरणोँ मे जब शरण
बाहामनी पति
यवन राजा
जा छिपा अपने ही घरमे तक्षण
लढ़ा था वीर सुरेन्द्र साए
लढ़े थे चक्राविशोइ
जयीराजगुरु बक्सी कि
धरती आज श्रीहीन
पड़ा है
तब याद न करता कोई
यहीँ जन्मे थे
सुभाष
यह थी श्रीचैतन्य कि कर्मभूमि
श्रीकृष्ण यहाँ जगन्नाथ हुए
ये वही बौध जैनोँ कि भूमि
ब्य़ापारी थे हम
ब्य़ापार करते थे
जाभा बोर्णिओ
चीन जापान से
ये इतिहास भी अब
कोइ नहीँ पढ़ाता
इस देश के शिक्षानुष्ठानोँ मे
गौड़ भुवन हुआ था पदानत
मगध का सूर्य किए थे लीन
न रखना कभी गलतफैमी
इस धरती के पुत्र
न थे न हे कभी किसी से हीन
न उलझों भारत हमसे
मारदिए जाते
कहीँ गर्भ मे कन्या
उस देश के लोग आते है
मेरे माटि के कन्या को
बहू बना
वो अपने देश ले जाते है
जहाँ
वहा था खुन नदी बनकर
लोग हँसते हँसते बलि चढ़गये
न रखा
#भारत तुझसे वैर
हम वो अपमान भी भूला दिए
ये मिट्टी वो मिट्टी है प्यारे
जहाँ जातपात का भेद नहीँ
हम जिँईते है एक झंडे तले
यहाँ दलित सवर्णोँ मेँ रंज नहीँ
कोई CM नहीँ न राजा कोई
यहाँ एक जगन्नाथ ही राजा है
न उलझो हमसे तुम #भारत
हमेँ लढ़ना आता है
हम भूले नही
सह लेगें.....
सहन कर सकता हुँ
किसी के मुख से मेरे लिए
कटु अपशब्द....
सहन हो जाते
कोइ मुझे जितना चाहे
मारे पिटे चाहे
कर दे मेरा बध .....
सहन न होगा
कोइ मेरा घर, परिवार को बदनाम करने लगे....
सह सकता हुँ
तुम मुझे कहो
गर मूर्ख अथवा
संवेदनहीन
सहन न होते
मेरी माँ माटि पर
बेवजह कोइ
उँगली उठाने लगे
सह सकते है
सहने को
हम गरीब
12 Km. चलने का दर्द
सहन न होगा
कोई कह दे
मेरी माँ कि
परवरिश को ही गलत
सह सकते है
झेल सकते है
लाखोँ बाढ़ चक्रवात अकाल
का मार
सह लेगेँ
आए जितनी अड़चने
लड़ेगेँ
मरेगेँ
न डरेगेँ हम वीर ओड़िआ........।
#बन्दे_उत्कल_जननी