मत कहना मुझे हिन्दुस्तानी मेँ न्यु ईंड़िया मेँ रहता हुँ !
सरकार करे चाहेँ कुछ भी मेँ सपनोँ मेँ ड़ुबा रहता हुँ !
चुल्हे मेँ जाय देश
मेँ आपनी फायदा ही देखता हुँ
किसी गाँव मेँ नहीँ भैया जी
मेँ नई दिल्ली मेँ रहता हुँ !
मत कहना मुझे हिन्दुस्तानी मेँ न्यु ईंड़िया मेँ रहता हुँ !
सरकार करे चाहेँ कुछ भी मेँ सपनोँ मेँ ड़ुबा रहता हुँ !
चुल्हे मेँ जाय देश
मेँ आपनी फायदा ही देखता हुँ
किसी गाँव मेँ नहीँ भैया जी
मेँ नई दिल्ली मेँ रहता हुँ !
ये आखरी शाम ये आखरी रात हे..,
मेँ क्युँ करु फिकर कल की मुझे इस पल मेँ ही जीना हैँ...,
अकेला हुँ आज मेँ नहीँ चाहिये और कोई युँ तो मिले थे कई दोस्त मगर अब चाँद हमारे साथ है !
मुझे जीनाँ है हर पल मेँ आज और ये पल भी बीत जाना है..
जो करते फिकर कल की उन्हे मन ही मन मेँ रोना है..,,
! ये आखरी शाम ये आखरी रात है,..,,,
क्या फायदा जी कर हजारोँ साल मुझे क्युँ की जीँदेगी जीनेँ के लिये सच्चाई का एक पल ही काफी है
(14 sept 2013 हिन्दी दिवस पर लिखागया )