गोरखा=>गोरक्ष से गोरखा शब्द हुआ है ये सच है....
लेकिन संस्कृत पंडितों पहले #गोरक्ष शब्द का अर्थ तो जान लो....
गोरक्ष शब्द #ओडिआ तथा #संस्कृत में प्रयोग होता है....
इसके एक नहीं कई अर्थ है.....
१.शिव
२.एक प्रकारका जंगली निंबु
३.ग्वाल
विशेषण के तौर पर इसका इस्तेमाल ज्यादा होता है
यानी जो गायों का खयाल रखता है वो गोरक्ष.....
अर्थात् सिंपली #ग्वाल.......
जिस
गोरक्षक शब्द को आजकल #फेसबुकिये_प्राणी
बढ़ा-चढ़ाकर
#गायवादी व्यक्तिओं के लिए प्रयोग करते है
उसका प्राचीन अर्थ
ग्वाल ही था........
यानी #गाय_पालक जातिके लिए प्रयोग होता था ...........
अब #नेपाल के प्राचीन #गोरक्षपुर सहर का नाम गोरक्ष यानी ग्वालों के गोरक्षपुर हुआ जो
आजकल
#खोरखा कहलाता है.....
भारतवर्ष के उत्तर पश्चिम में ग्वालों का बहुत बडा समाज रहा करता था......
जो आज नेपाल भारत में गोर्खा कहलाते हे उनके पूर्वज ग्वाल ही थे ओर वे सब शिव भक्त थे......
शिवजीको वो अपने नाथ यानी गोरक्षों के नाथ मानकर पूजते थे......
शिवजी गोरक्ष कहलाए गोरक्षनाथ भी.......
ओर
इसलिए उस क्षेत्र का नाम गोरक्षपुर कहलाया तथा
इस जगह के नामसे वहां के लोग बाद में #गोरखा कहलाए........
यही सच्चाई है मानो न मानो.....
शब्द सच कहते है लोग नहीं .....
तो कृपया भ्रम न फैलाएं......
ओर आपके जानकारी के लिए बता दुं
भारतके गोरखपुर सहर का नाम संथ गोरखनाथ के नाम पर प्रशिद्ध हुआ है .....
गोर्खाओं के देवता गोरक्षनाथ से प्रेरित है उनका नाम .....
शिव ही है गोरखनाथ समझे 😉
(गोरक्ष=शिव)