सोमवार, 24 जुलाई 2017

६०००० फोटो

दादा साहब फाल्के
अपने पहले फिल्म को लेकरके
महाराष्ट्र के एक गांव में पहुंचे....

वहां के एक जानकार ने बताया
मान्यवर
ये लोग नाच देखने के आदी है
६-७ घंटे के नाटक को ही तबज्जो देंगे
आपके २ घंटे के फिल्म को भला ज्यादा पैसा देकै देखने क्यों आएगें....?

दादासाहेब फाल्के ने गांव वालों को वुलवाया एक सभा बिठाया गया.....

उसमें दादासाहेब नें कहा
ये जो फिल्म है न फ़िल्म
इसमें आपको २.५० घंटे में
५० से ६० हजार फोटो देखनेको मिलेगा......

इसके बाद तो
लोगों ने इसपर काफी इंट्रेस्ट लिया ओर
राजा हरिश्चन्द्र​ देखने भारी संख्या में आने लगे
😀😀😀
एक वो दौर था कि सोचकर ही हैरानी होती है....

(92.7 fm पर एकबार ये घटना अन्नु कपूर सहाब नें सुनाया था)

सोमवार, 17 जुलाई 2017

लॉकी या ऑनलॉकि

काफी पुरानी बात है  ।
एक बहुत ही बुद्धिमान सिपाही था
जिसे राजा से एक घोडा उपहार में मिल गया था.....
ओर सबने कहा
वो कितना लॉकी आदमी है.....
मगर एक दिन उसी घोड़े ने उस सिपाही को
एक ऊंचे जगह से नीचे पटक दिया....
ओर तब उन्हीं लोगों ने कहा कि देखो वो सैनिक कितना unlucky आदमी है.......

फिर वहां एक जंग छिडगयी थी....
सारे लोग मारेगये
लेकिन वो सिपाही बचगया जो जंग में जा न सका.....
च्युंकि उसकी दोनों टांगें ही टुटगयी थी ओर शत्रुओं ने सोचा ये तो ऐसे ही मर जाएगा
इसे क्या मारना....

तो १०० बातों कि बात.....
तुमलोग ये कह  नहीं सकते कि किसका टाइम कब अच्छा चल रहा है या बुरा
हां कयास लगाते रहो
कौन मना करता है......😂😂😂

रविवार, 16 जुलाई 2017

गोरखा शब्द कि सच्चाई

गोरखा=>गोरक्ष से गोरखा शब्द हुआ है ये सच है....

लेकिन संस्कृत पंडितों पहले #गोरक्ष शब्द का अर्थ तो जान लो....
गोरक्ष शब्द #ओडिआ तथा #संस्कृत में प्रयोग होता है....
इसके एक नहीं कई अर्थ है.....
१.शिव
२.एक प्रकारका जंगली निंबु
३.ग्वाल

विशेषण के तौर पर इसका इस्तेमाल ज्यादा होता है
यानी जो गायों का खयाल रखता है वो गोरक्ष.....
अर्थात् सिंपली #ग्वाल.......

जिस
गोरक्षक शब्द को आजकल #फेसबुकिये_प्राणी
बढ़ा-चढ़ाकर
#गायवादी व्यक्तिओं के लिए प्रयोग करते है
उसका प्राचीन अर्थ
ग्वाल ही था........
यानी #गाय_पालक जातिके लिए प्रयोग होता था ...........
अब  #नेपाल के प्राचीन #गोरक्षपुर सहर का नाम गोरक्ष यानी ग्वालों के गोरक्षपुर हुआ जो
आजकल
#खोरखा कहलाता है.....
भारतवर्ष के उत्तर पश्चिम में ग्वालों का बहुत बडा समाज रहा करता था......
जो आज नेपाल भारत में गोर्खा कहलाते हे उनके पूर्वज ग्वाल ही थे ओर वे सब शिव भक्त थे......
शिवजीको वो अपने नाथ यानी गोरक्षों के नाथ मानकर पूजते थे......
शिवजी गोरक्ष कहलाए गोरक्षनाथ भी.......
ओर
इसलिए उस क्षेत्र का नाम गोरक्षपुर कहलाया तथा
इस जगह के नामसे वहां के लोग बाद में #गोरखा कहलाए........

यही सच्चाई है मानो न मानो.....
शब्द सच कहते है लोग नहीं .....

तो कृपया भ्रम न फैलाएं......
ओर आपके जानकारी के लिए बता दुं

भारतके गोरखपुर सहर का नाम संथ  गोरखनाथ के नाम पर प्रशिद्ध हुआ है .....
गोर्खाओं के देवता गोरक्षनाथ से प्रेरित है उनका नाम .....
शिव ही है गोरखनाथ  समझे 😉
(गोरक्ष=शिव)