मंगलवार, 22 दिसंबर 2015

इतिहास को किताबोँ मे ही दफ्न रहने दो

हिन्दोस्तानी इतिहास को किताबोँ मे ही कैद रखना पसंद करते है.....,,,

वो अतीत को आदर करते हे
सम्मान और प्रणाम भी करते हे
परंतु उससे सिखते विखते कुछ नहीँ........

आज मुझे वो हाइस्कुल के दिन याद आते है...

जब शाम तिन बजे इतिहास का पिरियड़ शुरु होता था

क्लासमे
तिन या चार छात्रोँ को छोड़ देँ तो बाकी के छात्र केवल स्कुल बैल कि घँटि कि प्रतीक्षा मे बैठे पायेजाते थे......

ज़ाहिर सी बात है भारतीय लोग इतिहास को #बकलोली ही समझते है....

नज़ाने किस नामुराद् ने इतिहास को पठन का विषय बनादिया....

इतिहास किताबोँ मे ही कैद अछा लगता है .....



2015 मे कन्तिउ गाँव कि कुछ चर्चित घटना

2015 गाँव Kantio के लिये अजीबोगरीब था......
फरवरी मे गाँववालोँ ने एक शराबी को झुलते देख देवी आयी है समझा और उसे भरपेट
‪#‎ पणा‬या ‪#‎ ओड़िआओँ‬का लस्सी पिलादिया
वेचारा उहा से जाके फिन दुसरे जगह पर झुलने लगा
मार्च माह मे ही हमने देखा कैसे एक ‪#‎ वर‬ ‪#‎ कन्या‬के गाँवमे अपने ही बारातीओँ के साथ मिलकर नाचा था....
पता नहीँ उसे वियर का नाशा चढ़ा था या शादी कि अत्यधिक खुसी थी
अप्रेल आते आते बग्गा मामा गाँववालोँ के लिये शिरदर्द बनगये थे
पहले ही उन्होने सरपँच मिश्राजी को जान से मारने कि धमकी दी थी...वही एक दिन
कौतुकप्रिय मामाजी के हातोँ से
बिचारा एक नशेड़ी ब्राह्मणी नदी मे मरते मरते बचा था ।
मई जुन मेँ गाँव के नये नये जवान हुए लौँडो ने अजीब अजीब जानवरोँ कि आवाजेँ निकालकर लोगोँ को डराना शुरुकरदिया था और अन्ततः वो सबके
सब Maa khambeswari club के लौँडो के हातोँ पकड़े गये !!
जुलाई मे एक बच्चा उसके दादी के साथ बबण्डर मे फँसकर मरगया...गाँव भरमे भुतप्रेत कि बातेँ होने लगी लोग कहने लगे बच्चे को सुषमा डायन ने मार दिया !! :->
अगष्ट सेप्टम्बर मे गाँव कि दो और लव ष्टोरी दूर्वल Storyline के कारण पीट गयी
एक मे आशिक पीटा दुजे मे लौँडिया किसी और के साथ भाग गयी :-x :-x :-x
सेप्टेम्बर मे ही गाँव का एक भला इंसान दुनिया छोड़गया
एक तरफ उसका शव पड़ा था
दुसरी तरफ से गणेशपूजा विसर्जन करनेवाले पियक्कड लौँडे नाच रहे थे :-@ :-@ ;->
सेप्टेम्बर के एक मूर्तिविसर्जन परेड मे गाँव कि Indian idol - miss kantio लौँडोँ के साथ मिलकर नाचने लगी
तब उसके पिता ने उसे लोक लज्या से बचने हेतु टोक दिया !

सोमवार, 21 दिसंबर 2015

वेचारा राजु प्रधान


हाईस्कुल मे पढ़ते समय कभी कभी हेँडल से दोनो हाथ छोड़ कर साइकेल चला लेते थे

9वीँ कक्षा मे पढ़ते समय एक दिन स्कुल छुट्टि पर हम अपने साइकेल के साथ लौट रहे थे
अपने क्लास का स्टाइलिस वॉय
राजेश उर्फ राजु प्रधान
इसी अदांज मे साइकेल चलाते हुए हमशे आगे निकल गया !
मुझसे यही कोई 100 गज के दूरी पर श्रद्धाजंलि महारणा क्लास कि पढ़ाकु व्युटिक्विन् साईकेल से जा रही थी
युँ तो राजु रोज़ उसे यही लाइन मारता था
लेकिन उसदिन उसकि किस्मत खराब था या कुछ ओर वेचारा रोड़ के नीचेवाले गड़्ढ़े मे जा गिरा
जब हमने कहा कि हाथ छोड़ कर साइकेल चलाने का खामियाज़ा मिला है
तब राजु अपना बचाव करते हुए अपने खास अंदाज से कहता है
नहीँ यार ऐसे हजारोँ लाखोँ वार साइकेल चलाया हुँ
लेकिन उसदिन कमिनी ने आँख मारदिया था .....
हाय उसने जैसे ही आँख मारी
मेरे दिल का ब्रेक फैल हो गया
[extrashot:-Cycle को ओड़िआ मे ‪#‎ शूनगाड़ि‬कहते है]

गुरुवार, 3 दिसंबर 2015

आक कि बात

भगवन शिवजी को अतिप्रिय #उपविष तत्ववाला जैविक पारा के नामसे प्रशिद्ध औषधीय #मदार वृक्ष से संभवतः आप परिचित होगेँ ।

#महाभारत के आदिपर्व मे उपमन्यु कथा आता है
इसमे गुरुआज्ञा से जंगल मे गाय चराने गये धौम्य शिष्य
क्षुधाज्वाला से पीडित उपमन्यु #अर्क का पत्ता खा लेता हे जिससे वो अंधा हो जाता है ।

संस्कृत मे इसे #अर्कसस्यम् कहाजाता है जबकी हिन्दी की आम वोलचाल के भाषा मे #आक अधिक प्रचलित पाया जाता है ।

ओड़िआ लोग आक को #अरख Arakha तथा बंगाली #आकोन्दो Akondo कहते है ।

इसी आक या मदार से जुड़ा एक मजेदार किस्सा याद आ रहा है ।

मेरे गाँव का एक ब्राह्मण लौँडे को
सर्दीओँ के दिनो मे एकबार खुजलीवाला चर्मरोग हो गया था !
वेचारा दिन रात बस खुजला खुजला कर परेशाँ हो जाता था !

अब च्युँकि वो 80का दौर था तथा उसके मातापिता गाँव के गरीब तथा पुराने खयालात् के लोग थे इसलिये इस चर्मरोग का दवादारु करनही पा रहा था !

उन दिनोँ गाँव मेँ सोमुचाचा के बड़े भाई इंदरचाचा सबसे इंटेलिजेँट व टेलेँटेड़ व्यक्ति माने जाते थे !

वो ब्राह्मण लोँडा इंदर मिश्र चाचा के शरण मे गया और कहने लगा

'ताऊ जी कौनो दवादारु बतावो इ खुजलन से बहत परेशान है आजकल ! '

इंदरचाचा ने थोड़ा सोचा फिर कहा ....

जा बचुआ आक का दुध लगा

1 दिनमे तेरा खुजली और बिमारी दोनो ठिक हो जावेगेँ !

लौँडे ने ऐसा ही किया B-) B-) B-)
फिर क्या था ....

देशी दवा कि प्रतिक्रिया से और तेज खुजली होने लगी

वेचारा मन ही मन इंदरचाचा को गारियाने लगा छटपटाने लगा ।

किसी ने कहदिया पोखर मेँ स्नान कर ले
वो औँधे मुँह तालाब कि और भागा .....

और सच्ची बताएँ पोखर के पानी मे जाइके उहे चैन मिली...

आज भी इंदरचाचा आक का दवा देते समय विमार लोगोँ को यह किस्सा सुनते है
और कहते

आक एक अचुक औषध है बस उसको सही मात्रा मे लेना
बहुत जरुरी है नहीँ तो जहर का असर घातक हो सकता है ।