मंगलवार, 22 दिसंबर 2015

इतिहास को किताबोँ मे ही दफ्न रहने दो

हिन्दोस्तानी इतिहास को किताबोँ मे ही कैद रखना पसंद करते है.....,,,

वो अतीत को आदर करते हे
सम्मान और प्रणाम भी करते हे
परंतु उससे सिखते विखते कुछ नहीँ........

आज मुझे वो हाइस्कुल के दिन याद आते है...

जब शाम तिन बजे इतिहास का पिरियड़ शुरु होता था

क्लासमे
तिन या चार छात्रोँ को छोड़ देँ तो बाकी के छात्र केवल स्कुल बैल कि घँटि कि प्रतीक्षा मे बैठे पायेजाते थे......

ज़ाहिर सी बात है भारतीय लोग इतिहास को #बकलोली ही समझते है....

नज़ाने किस नामुराद् ने इतिहास को पठन का विषय बनादिया....

इतिहास किताबोँ मे ही कैद अछा लगता है .....



2015 मे कन्तिउ गाँव कि कुछ चर्चित घटना

2015 गाँव Kantio के लिये अजीबोगरीब था......
फरवरी मे गाँववालोँ ने एक शराबी को झुलते देख देवी आयी है समझा और उसे भरपेट
‪#‎ पणा‬या ‪#‎ ओड़िआओँ‬का लस्सी पिलादिया
वेचारा उहा से जाके फिन दुसरे जगह पर झुलने लगा
मार्च माह मे ही हमने देखा कैसे एक ‪#‎ वर‬ ‪#‎ कन्या‬के गाँवमे अपने ही बारातीओँ के साथ मिलकर नाचा था....
पता नहीँ उसे वियर का नाशा चढ़ा था या शादी कि अत्यधिक खुसी थी
अप्रेल आते आते बग्गा मामा गाँववालोँ के लिये शिरदर्द बनगये थे
पहले ही उन्होने सरपँच मिश्राजी को जान से मारने कि धमकी दी थी...वही एक दिन
कौतुकप्रिय मामाजी के हातोँ से
बिचारा एक नशेड़ी ब्राह्मणी नदी मे मरते मरते बचा था ।
मई जुन मेँ गाँव के नये नये जवान हुए लौँडो ने अजीब अजीब जानवरोँ कि आवाजेँ निकालकर लोगोँ को डराना शुरुकरदिया था और अन्ततः वो सबके
सब Maa khambeswari club के लौँडो के हातोँ पकड़े गये !!
जुलाई मे एक बच्चा उसके दादी के साथ बबण्डर मे फँसकर मरगया...गाँव भरमे भुतप्रेत कि बातेँ होने लगी लोग कहने लगे बच्चे को सुषमा डायन ने मार दिया !! :->
अगष्ट सेप्टम्बर मे गाँव कि दो और लव ष्टोरी दूर्वल Storyline के कारण पीट गयी
एक मे आशिक पीटा दुजे मे लौँडिया किसी और के साथ भाग गयी :-x :-x :-x
सेप्टेम्बर मे ही गाँव का एक भला इंसान दुनिया छोड़गया
एक तरफ उसका शव पड़ा था
दुसरी तरफ से गणेशपूजा विसर्जन करनेवाले पियक्कड लौँडे नाच रहे थे :-@ :-@ ;->
सेप्टेम्बर के एक मूर्तिविसर्जन परेड मे गाँव कि Indian idol - miss kantio लौँडोँ के साथ मिलकर नाचने लगी
तब उसके पिता ने उसे लोक लज्या से बचने हेतु टोक दिया !

सोमवार, 21 दिसंबर 2015

वेचारा राजु प्रधान


हाईस्कुल मे पढ़ते समय कभी कभी हेँडल से दोनो हाथ छोड़ कर साइकेल चला लेते थे

9वीँ कक्षा मे पढ़ते समय एक दिन स्कुल छुट्टि पर हम अपने साइकेल के साथ लौट रहे थे
अपने क्लास का स्टाइलिस वॉय
राजेश उर्फ राजु प्रधान
इसी अदांज मे साइकेल चलाते हुए हमशे आगे निकल गया !
मुझसे यही कोई 100 गज के दूरी पर श्रद्धाजंलि महारणा क्लास कि पढ़ाकु व्युटिक्विन् साईकेल से जा रही थी
युँ तो राजु रोज़ उसे यही लाइन मारता था
लेकिन उसदिन उसकि किस्मत खराब था या कुछ ओर वेचारा रोड़ के नीचेवाले गड़्ढ़े मे जा गिरा
जब हमने कहा कि हाथ छोड़ कर साइकेल चलाने का खामियाज़ा मिला है
तब राजु अपना बचाव करते हुए अपने खास अंदाज से कहता है
नहीँ यार ऐसे हजारोँ लाखोँ वार साइकेल चलाया हुँ
लेकिन उसदिन कमिनी ने आँख मारदिया था .....
हाय उसने जैसे ही आँख मारी
मेरे दिल का ब्रेक फैल हो गया
[extrashot:-Cycle को ओड़िआ मे ‪#‎ शूनगाड़ि‬कहते है]

गुरुवार, 3 दिसंबर 2015

आक कि बात

भगवन शिवजी को अतिप्रिय #उपविष तत्ववाला जैविक पारा के नामसे प्रशिद्ध औषधीय #मदार वृक्ष से संभवतः आप परिचित होगेँ ।

#महाभारत के आदिपर्व मे उपमन्यु कथा आता है
इसमे गुरुआज्ञा से जंगल मे गाय चराने गये धौम्य शिष्य
क्षुधाज्वाला से पीडित उपमन्यु #अर्क का पत्ता खा लेता हे जिससे वो अंधा हो जाता है ।

संस्कृत मे इसे #अर्कसस्यम् कहाजाता है जबकी हिन्दी की आम वोलचाल के भाषा मे #आक अधिक प्रचलित पाया जाता है ।

ओड़िआ लोग आक को #अरख Arakha तथा बंगाली #आकोन्दो Akondo कहते है ।

इसी आक या मदार से जुड़ा एक मजेदार किस्सा याद आ रहा है ।

मेरे गाँव का एक ब्राह्मण लौँडे को
सर्दीओँ के दिनो मे एकबार खुजलीवाला चर्मरोग हो गया था !
वेचारा दिन रात बस खुजला खुजला कर परेशाँ हो जाता था !

अब च्युँकि वो 80का दौर था तथा उसके मातापिता गाँव के गरीब तथा पुराने खयालात् के लोग थे इसलिये इस चर्मरोग का दवादारु करनही पा रहा था !

उन दिनोँ गाँव मेँ सोमुचाचा के बड़े भाई इंदरचाचा सबसे इंटेलिजेँट व टेलेँटेड़ व्यक्ति माने जाते थे !

वो ब्राह्मण लोँडा इंदर मिश्र चाचा के शरण मे गया और कहने लगा

'ताऊ जी कौनो दवादारु बतावो इ खुजलन से बहत परेशान है आजकल ! '

इंदरचाचा ने थोड़ा सोचा फिर कहा ....

जा बचुआ आक का दुध लगा

1 दिनमे तेरा खुजली और बिमारी दोनो ठिक हो जावेगेँ !

लौँडे ने ऐसा ही किया B-) B-) B-)
फिर क्या था ....

देशी दवा कि प्रतिक्रिया से और तेज खुजली होने लगी

वेचारा मन ही मन इंदरचाचा को गारियाने लगा छटपटाने लगा ।

किसी ने कहदिया पोखर मेँ स्नान कर ले
वो औँधे मुँह तालाब कि और भागा .....

और सच्ची बताएँ पोखर के पानी मे जाइके उहे चैन मिली...

आज भी इंदरचाचा आक का दवा देते समय विमार लोगोँ को यह किस्सा सुनते है
और कहते

आक एक अचुक औषध है बस उसको सही मात्रा मे लेना
बहुत जरुरी है नहीँ तो जहर का असर घातक हो सकता है ।

गुरुवार, 26 नवंबर 2015

मोहिनी कि माया से

शिशिरवा.... !
शादी के लिये
तोहरे वास्ते लड़की नाही मिलत का.. ? :-|
काहे ? का हुई गवा चाचा ???
मैनेँ कुछ सोचते हुए सोमुचाचा से पुछा ......
इ लो तुमरे नाम से गाँव भर मेँ अफवाह फैलाया जा रहा है.....
‪ फलानेवाले‬की लड़की से तोहरा रिस्ता ‪ फिक्स ‬हुवा है.....
का इ बात सच है बचुआ.... ??
अब क्या कहे चाचाजी....
‪पहलीवाली_लड़की‬के घरवालोँ ने तो सिर्फ रिजेक्ट किया था.....
इ तो ससुरे रिजेक्ट करने के साथ साथ मेरा चड़्डी पैँड भी उतारने की फिराक मे लगते है !!!
इनकी बेटीआँ मुझे खा जानेवाली नजरोँ से देखती है
वाप भाई भी मेरे कैरक्टर को लेकर आस्वस्थ है कि चलो अच्छा बंदा है पर उसकी माँ ने मना कर दिया ....
चलो मनाकिया कोई बात नहीँ ये आपकी अधिकार क्षेत्र मे आता है पर का जरुरत थी गाँव भर मे ये ढ़िँडोरा पिटने कि
देखा देवबाबु के लड़के को लड़की नहीँ मिल रहा
सो हमरे घर मे रिस्ता के लिये पुछा था.... हमने तो साफ मना कर दिया !!
का वेकार लौँडा है..... DJ पर डेँस नहीँ करता , गाँव के रस्तोँ मेँ वाईक को हैलिकैप्टर कि तरह नही उडाता ,न वियर पिता है न मेरे बेटे को कभी पिलाया..... ना हमारे ‪जयगुरु‬वावा का भक्त है
तब ऐसे लालची शर्मिले कुसंस्कारी नास्तिक लौड़ेँ को लड़की दे के का फायदा ???

हाय रे मेरी नादान प्रेमिकाओँ

तीन भूतपूर्व प्रेमिकाएँ यदि एक हो जाएँ...
साथ खाए, पिए ,मौज मनाएँ और दिर्घशंका के लिये खुले मैदानोँ मेँ जाया करती हो समझलो कुछ तो गड़बड़ है
प्रभा से रिस्ता टुटा तो मालती से इश्क लड़ा बैठे
मालती ने दिल तोड़ा तो मधु के प्रेमी बनेँ
लेकिन मेरी माँ को ‪#‎ मोहिनी‬पसंद थी...
वो उसे ही दुल्हन बनाना चाहती थी....
अब च्युँकि मोहिनी मेरा एक फुफेरा भाई मोहन से प्यार करती थी उसके घरवालोँ ने किसी रिस्ता से साफ इनकार करदिया ....
अब मधु और मेरे रिस्ते कि बात होने लगी
पर च्युँकि मधु के फादर व मोहिनी के डैड अच्छे दोस्त है
गुप्त मन्त्रणा के बाद
मधु के डैड ने कहा
वो अपने बड़े बेटे के शादी के बाद अपनी छोटी लड़की मधु कि मैरेज करेगेँ !
ज्ञात रहे
मधु के डैडी ने कुछ महिनो पहले अपनी बेटी कि शादी सिर्फ 16 साल मे करदेने कि बात कही थी क्युँकि Jaggnath जी का ‪#‎ NAVAKALEVAR‬था !
मोहिनी तथा उसके पाँच भाई बहन प्यार करके ही शादी किये है
ठिक है जितना इच्छा उतना प्यार करो
पर मेरे और मधु कि लभ स्टोरी बिगाड़ने का हक्क् किसने
दे दिया तुम्हे कलमुँही......

शैफाली तु हारकर भी जीत गयी.....

शर्दिओँवाले शाम है ,फुरसत के पलोँ को अकेले बिता रहे है या कोई खुबसुरत यार आपके साथ हो....
ऐसे ही रोमाँटिक क्षणोँ को और रोमाँटिक बनादेता है
‪शैफाली‬[प्राजक्ता] फुलोँ कि खुशबु .....
इसकी सुगंध से एकाएक
मन कि सारी थकान और नैराश्यवाद मिटजाता है
अंग्रेजलोग हालाँकि इसे दुःख का फुल कहते है और रात कि रानी भी....
शेफाली फुल पर पश्चिमी सभ्यता मे एक फैरी टैल फैमस हुआ है !
'किसी देश कि राजकुमार के इंतेजार मेँ एक सुंदर राजकुमारी का फुल बनजाना और ये इंतेजार कभी न खत्म होना ....
दर'सल ये कथा ‪ विष्णुपुराण‬से लिया गया है या प्रेरित मानाजाता है ।
विष्णुपुराण मेँ शेफाली फुल कि कथा आता है जो इस प्रकार है :-
===>
एक सुंदरी राजकन्या सूर्यदेव से प्रेम करने लगी
जब प्यार परवान चढ़ने लगा उससे रहा न गया ! उसने सूर्यदेव का आवाहन किया
भगवन आये और उसे साथ ले गये परंतु जैसे जैसे राजकन्या सूर्यदेव के साथ दिन बिताने लगी वो शुखने लगी ।
सूर्यदेव ने राज्यकन्या को धरती पर छोड़दिया और अपने प्रियतम के बिछड़न् के वजह से राजकन्या तड़प तड़प कर मरगयी ।
राजकुमारी की मृत देह का दाह संस्कार के बाद उसके देहाभस्म से एक ‪ लतिका ‬का जन्म हुआ । वो यही ‪ शैफाली_फुल_का_प ैधा‬था !
आज भी वो अपने प्रियतम के लिये रातभर सजती सवरती परंतु सुरज कि किरणोँ से उसके सुंदर फुल झड़जाते ।
=Extra shot=
शैफाली फुल पर
ओड़िआ कवियत्री ,स्वतंत्रता सेनानी ,
‪कुन्तलाकुमारी_स ावत‬ने "शैफाली" नामसे एक कविता लिखा था ....
इस कविता मेँ
सिर्फ 35 वर्षोँतक जीवित रही इस नारीनेत्री ने अपने जीवन को शैफाली फुल कि तरह बताया है ....और खुदको तथा अपने जैसे हजारोँ को ढ़ाड़स बाँधने के लिये कहा है
'शैफाली'
तु रोज रात को सजती सवरती है ,
ये जानते हुए कि रात के बितते ही तेरा ये रुप रंग सब मिट जाएगा
तेरी ये कोशिश अमर रहे
तु हार कर भी जीत गयी
और वक्त जीत के भी हार गया

फेसबुक कि यादेँ...


***** फेसबुक से जुड़ा एक किस्सा सुनाना चाहुगाँ
पाँचवर्ष पूर्व जब मैँ फेसबुक पर नया नया जुड़ा....
चन्द दिनोँमे मेरी पहली ID पर 40 या 50 मित्र बनगये
फिर उन मित्रोँमे से किसीने एक रुपमती नारी की अर्धनग्न फोटोपर मुझे टैग या चिन्हित करदिया....
फिर ये धड़ाधड़ नोटिफिकेसन आने लगे....
मेँ तो बिलकुल परेशान हो गया बताओ
ये सब लोग कौन है जो मुझे गाली दे रहे उटपटागं बातेँ लिख रहे है
फिर कुछ दिन बाद पताचला
वो लोग मुझे नहीँ मेरे उस दोस्त को कहरहे थे जिसने मुझे उस अर्धनग्न फोटो मेँ टैग या चिन्हित किया था
पता है अभी कुछ घँटो पूर्व एक नौसिखिआ वुजुर्ग नेँ हमेँ सिर्फ मिसअंडरस्टाडिँगके लिये आड़े हातोँ ले लिया
मेरे ही कमेँट पर वे मान्यवर ने सर्वप्रथम जवाब दिया था फिर एक महाकट्टरवादी भाई आ धमके
उस टिप्पणी मेँ अबतक कुल 96 उत्तर दिया जा चुका है ।
तो उन नौसिखिए बुजुर्ग को लगा कि मैनेँ उनके बारे मेँ भद्दा कमेँट किया जबकी मैनेँ वहाँ गालीवाली एक भी शब्द नहीँ लिखे थे
जो भी लिख रहे थे कट्टरवादी फेसबुकिए भाई लिख रहे थे ।
मैनैँ फिल्हाल बुजुर्ग मित्र को Inbox मेँ ये बात समझा दिया है उम्मिद है वे समझ गये होगेँ
धन्य फेसबुक अदभुत् तेरी महिमा

शनिवार, 3 अक्तूबर 2015

नयी दुनिया

हाँ मे डरता हुँ च्युँकि
मुझे डरना है इसलिये.....

ये नयी दुनिया आपको जबतब डराने के लिये ही तैयार बैठा है....
हमेशा यही डर लगा रहता है
क्या कलतक मेँ मेरे बच्चे जीवित रह पाएगेँ....
हालाँकि ये दुनिया हमेशा से इतना बेरहम तो नहीँ था....
कितना सुहावना सुंदर था मेरा बचपन और युवाकाल भी.....
परंतु अब वो दुनिया नहीँ रहा...

वो मेरे गाँव और खेत खलियान नयी दुनिया कि क्रोध का शिकार हुए ,...
बड़े छोटे नदी तालावोँ मे पानी की एक बुंद भी नहीँ है ।

इन बुढ़े बेवस आँखोँ को रोज जंगल और वृक्ष कि सपने आते है पर वास्तवता डरावना है......

नकारात्मकता से भरा हुआ
इस नयी दुनिया मेँ कभी खुदको ताकतवर समझनेवाला इसांन आज
जिँने के लिये संग्राम कर रहा है ।
हाँ मे डरता हुँ मुझसे....मेरे जैसोँ के द्वारा बनाये गये इस नयी दुनिया से.....क्युँकि यही हमसबका प्रारब्ध है......
हमने विनाश का ही वीज वोया था और आज हम सब डरे हुए है

हाँ ये हम सबका अंत है.....

[मदन दास
-03.08.2059]


बुधवार, 16 सितंबर 2015

जले दिल से लिखना था.....

जले दिल से लिखना था
लिखने बैठे कागज जलगया...

आँसुँओँ को शब्द बनकर वहना था आँखोँ से ही वहगया....

फेसबुक मेँ लिखना था शायरी वायरी कुछ करना था..,

जब जब आये देख राजनीति
यहाँ दम मेरा घुट गया....

सोचा कि लिख दुँ कवितायेँ
और अखबार मेँ छपवा दुँ.....

जब जब भेजा छपा नहीँ
सब कुडेदान मेँ पाया गया....

दिल किया कि लिख दुँ पहलवान के यहाँ दिवार पर....

करते थे पसंद उ की बहन को और दिवाना पहलवान बनगया...

गाने लगे गाना बनाकर जब
गाँव देहात कसब्बो मेँ

वतियाने लगे लोग देखो एक और पागल दिवाना बनगया.....,

वाप परेशाँ हमसे माँ कोढ़ने लगी है अब हमेँ यारोँ....

लगता है डुबे नाव या तैरेँ का वक्त अपना आ गया....

बुधवार, 2 सितंबर 2015

एक भूतिया कहानी

मई-जुन कि बात है !
मेरे गाँव मेँ रात को एक अजीव जीव कि आवाज सुनाई देने लगा....

ये आवाज इतना भयानक था कि लोग डरने लगे....

लोगोँ ने इसपर तरह तरह कि बातेँ बनाना शुरु करदिया था...

ज्यादातर लोगोँ ने इसे #Manas उर्फ #Aamba का प्रेत कहकर गाँव भर मे प्रचार किया

जबकी कुछलोगोँ का मानता था शायद ये एक #बिल्ली है जिसकी
बच्चोँ की मौत हो गई है,...

कुछलोगोँ ने इसे एक लुप्त प्राय वन्य पक्षी कहा
आदि......

ये जीव गाँव के अलग अलग जगहोँ से आवाजेँ निकालने लगी.....

कुछ सहासी लौँडो ने तय किया कि वो अब इस मामले को अपने विशेषज्ञता के बल पर सुलझाएगेँ ।

तब से गाँव कि हर गली नुक्कड चौराहे पर खोजी लौँडो के मेँम्बर रात मे गुप्त रुप से पहरा देने लगे.....

10 दिन बितचुका था
परंतु कुछ हात नहीँ लगरहा था...,

फिर एक दिन..रात को...

अज्ञात प्राणी के आवाज मेँ
अजीवोगरीब बदलाव हुआ.....

वो अब चीँ...चीँ..चीँ...चीँ....आवाज करने लगी......

खोजी लौँडे इस आवाज कि और दौडे ..... उन्होने देखा
#सफेत_शाढ़ी_पहने_4_अस्पष्ट_आकार.....
#पोखर नजदिक श्मशाँन कि और भाग निकले है.....

खोजी लौँडे भी इनके पिछे हो लिये....हालाँकि वे सब थोड़े से डरेहुए थे....

अंत मे....

संभावित अज्ञात प्राणीओँ को चारोँ तरफ से घेर लिया गया था....

जब लोगोँ ने इन्हे नजदिक जाकर देखा तो हक्केबक्के
रहगये......

#सन्तोष उर्फ #Santia और इनके तीन मित्रोँ ने गाँववालोँ को 2 महीनोँ तक ड़राया - उल्लु बनाया था :-D :-D :-D
कोई और गाँव होता तो शायद उनपर कारवाई हुई होती
पर #Kantio वाले थोड़े दयालु है गाँववालोँ ने उन्हे माफ करदिया ....B-) B-)
इस नसीहत के साथ कि आगे से ऐसा न हो ....
:-D :-D :-D :-D

बाबु Santia जो कि गाँव के युवा Superstars मेँ से एक हे इस घटना पर अपना पक्ष रखते हुए कहते.....
"ये सब उन्होने भुतोँ से जुड़ी अंधविश्वास के खिलाफ लोगोँ को सचेतन करने हेतु किया था....."

अब सच्चाई क्या है ये सब जानते है
:-D :-D :-D :-D :-D :-D :-D :-D
मुझे तो Santia babu मेँ भविष्य का नेता दिखरहा है
और कुछ हो न हो गाँव का सरपँच जरुर बनेगा B-) :-P :-P





गुरुवार, 27 अगस्त 2015

डायरी का एक पन्ना ...बचपन...

"राही राही सुन ले मेरी कहानी
पावँ ज़मीन पर और मंजिल आसमानी....'
जी..........
ठिक सोच रहे है

ये मेरी अबतक कि कहानी मने
जीवनगाथा...'

1989 जैष्ठ शुक्ल सप्तमी....
अभी अभी तो ये जन्मा है
देखो तो
Kantio गाँव मेँ जन्मा ये मूर्ख बालक आपका अगला पगला दोस्त यार भाई बंधु सखा
Sisir ही है .....क्या कहा पहचान नहीँ पाए ....अरे आप मन कि आँखो से देखिये न जरुर पहचान जायेगेँ....

पर यदि आप इसे एक अछा बालक समझते हो तो आप गलत समझते हो ।

हालांकि ये बच्चा च्युँकि एक वैष्णव के घर मे जन्मा था बड़ा ईश्वर भक्त हुआ करता था
हर सुबह 6 बजे
पिता के साथ बड़े आग्रह के साथ
राधामोहन मंदिर जाया करता ।

सुंदर आचार व्यवहारोँ मेँ इसके गुस्से ,जिद् छुपा नहीँ अपितु और बढ़ने लगा ।

जिद बढ़गये मनु ,देवु ,अजु ,शिशिर आदी नाम धारी ये बालक धीरे धीरे संसारी माया मेँ बंधने लगा !

खिलोनाँ चाहिये
मिठाई चाहिये
चॉकलेट चाहिये
अंगुर चाहिये आदि आदि
मेरी फरमाईशियाँ बढ़ने लगी

मेरे प्यारे माँ वाप भी क्या करते अकेला इकलौता लौँडा,
बचपन कि हर इच्छा पुरी कि.......

धीरे धीरे मेँ हर चीजोँ को पाने के लिये कुछ ज्यादा ही शंजिदा होने लगा
मने रिसिआने लगा समझे....

अब इस संसार सुख मेँ बालपन बितानेवाला इस संसारी भक्त को प्रभु जी याद नहीँ आते थे
वो नित्य खिलौनोँ के साथ खेलता रहा ।
प्रभुजी को दया आ गया....

मेरा भक्त खिलौँने से खेलेगा
ना ना ना....

इसको एक बहन मिलना ही चाहिये

भगवनजी ने मेरे लिये अछा ही सोचकर मेरे लिये बहन भेजा
था

माँ कहती थी शिशिर तेरी बहन को कृष्ण ने दिया है उसे मत शताना ।
अब मेँ ठहरा शैतान
फिर भी प्यारी बहन घर मेँ आयी सो कोई दोस्त मिलगया ।

हम भाई बहन अभी छोटे छोटे ही हुए थे पर हम अब दोस्त कम दुशमन बनगये थे ।

मेँ और वो अलग अलग पार्टी बनाकर घर को संसद भवन समझ लढ़ते थे ।
हम दोनोँ कि लढ़ाई गाँव प्रसिद्ध है......
हर बात पर झगड़ा !!!!
रोज झगड़ोँ से हर कोई परेशान हो गया था ।

भगवान ने देखा उनका भक्त विपदा मेँ है......

प्रभु क्या किया जाय
सोच ही रहे थे कि प्रभु ने तय किया वो अब मुझे एक भाई देगेँ

प्रभुजी के इच्छा से मैने उसका नाम सुधीर रखा

हालाँकि हम भाई बहनोँ मे Worldwar चलता रहा
और तबतक चलता रहा जबतक
-मानीनी- मेरी
इकलौती बहन कि शादी नहीँ हो गयी....














सोमवार, 20 अप्रैल 2015

प्यार नेँ लिया अनजाने मेँ एक और लड़की का जान

आज से करिबन 20 साल पहले गाँव की एक लव स्टोरी नेँ मेरी प्रतिमा दिदी(बड़े पिताजी की लड़की) की जान ली थीँ ।
20 साल पहले मेँ 4 या 5 वर्ष का हुआ था इसलिये मुझे उनकी शक्ल और सुरत याद नहीँ पर मुझे याद है उनकी आत्महत्या के पश्चात मैनेँ माँ से पुछा था की दीदी कहाँ गई तो उसने जवाब दिया था आसमान मेँ ।
आखिरकार ऐसा क्या हो गया कि दीदी को जहर पीना पड़ा था ?
90 दशक कि शुरुवात मेँ
‪#‎ KANTIO‬गाँव का एक लौँडे को अपने ही गाँव की सुंदर कन्या से वेईंतहाँ प्यार हो गया था ।
आज की तरह तब समाज इतना ढ़िलढ़ालवाला न था ,विवाह योग्य लड़कीओँ पर शख्त पावंधीयाँ हुआ करती थी । लड़का था तो दिवाना सो उसने एक दिन ठान लिया की मेँ आज उससे मिलकर रहुँगा चाहेँ कुछ भी हो जाय । हिम्मत करके वह लौँडा कन्या को मिलने उसके घर छुपते छुपाते पहँचगया ,दोनोँ "ये मोह मोह के धागे" गा रहे थे की लड़की के पिता नेँ सारा काँड देखलिया । कन्या पिता नेँ घरका दरवाजा बंद करदिया और गाँव मेँ उनके रिस्तेदारोँ को बुलाने चलेगये । कुछ क्षणोँ मेँ उनके दोस्त रिस्तेदार लौँडे के मातापिता सहित वहाँ पहँचे और रातोरात उन दोनोँ कि शादी मंदिर मेँ कर दिया गया ।
अब इस घटना से प्रेरित हो उस लौँडे का एक भाई रात को हमारे बाड़ी मेँ छुपा था
उस रात को रोज कि तरह मेरी दीदी अपने गाँव स्थित मामा के घर मेँ अकेली शोनेँ के लिये गई हुई थी ।
किसी कारण उस दिन रात को हमारे पिताजी बाड़ी कि और गये थे और उन्होने उस लौँडे को देखलिया
उन्होने हुलिया बताया तो लोँडे के परिवारवाले हमारे पिताजी को मारने के लिये दौडपड़े । आग इधर भी था उधर भी ,कहीँ गाँव न जलजाय इस डर से गाँववालोँ नेँ
जैसे तैसे करके सबको शान्त किया ।
सुबह हुआ
मामा के घर से लौटने पर मेरी दीदी को बड़े पिताजी नेँ इस बात का जिक्र करते हुए कुछ कहदिया ।
मेरी दीदी को यह बात खलगई और उसने छुपकर जहर पी लिया और उसकी मौत हो गई थीँ ।
च्युँकि उसने खुद अपनी जान ली थी हम उसे दोशी कह सकते है परंतु कोई व्यक्ति मजबुर होकर ही आत्महत्या करता है इसलिये उसको मजबुर करनेवाला समाज उसमेँ रहनेवाले स्वार्थी लोग ,वो लौँडा भी जिम्मेदार होगेँ ।

फिल्मी गानोँ का दिवाना राजु प्रधान

हिँदी से प्यार बचपन मेँ हीँ हो गया था तब विवधभारती का JORANDA सेँटर हमारे घर मेँ टिवी होने के बावजुद रजनी बुआ के यहाँ शुना करते थे ।
मेरे ही तरह
स्कुल के दिनोँ मेँ ‪#‎ RAJUPRADHAN‬नामसे एक क्लासमेट को हिँदी गाने शुनने का बड़ा शौक था ।
मुझे याद कभी कभी अतांक्षरी होनेपर वो हिन्दी गाना गाता था तो Sweto mastarji उससे चिढ़ जाते थे ।
उस दौर मेँ RAJU अपने क्लास का इकलौता होरो था जो बलीवुड के गानोँ को पसंद करता हो बाकी 9th मेँ हिँदी को optional के तौर पर लेनेवाले तीन छात्र SWETO MASTARJI की मार से डर कर हिँदी लिये थे ।
मैनेँ तब हिँदी नहीँ लिया च्युँकि मेरा हिँदी मेँ लिखावट अछा न था और RAJU को उसके टपोरी टाईप अदाओँ के लिये SHIV MASTAR नेँ मनाकरदिया था ।

एक और दिवाना पिटगया

ये हे आजकल का प्रेम ईश्क महोब्बत !!!
जवानी के जोश मेँ लौँडे होश खो बैठते है ।।।
हमारे गाँव के ‪#‎ पशेई ‬महाराज जी के साले साहब ‪#‎ Kantio‬की एक लड़की को दिल दे बैठे !
रोज पँचायत के चार रास्ते पर बैठकर उनका राह देखा करते थे । 2 साल तक उन्होने लड़की से नैन मटक्का किया और धीरे धीरे उनका ईश्क परवान चढ़ने लगा ।
अब देखिये बिल्ली दुध पीई लेँ और आवाज भी न हो
ये तो असंभव है न ।
तो घरवालोँ को इनके काँड के बारे मेँ खबर हो गया ।
कहीँ लड़की बिगड़ न जाय या घर की बदनामी न हो इसलिये 10वीँ का परिक्षा खत्म होते ही लड़की की शादी ‪#‎ MAHAPADA‬गाँव मेँ तय करदिया गया ।
जब ‪#‎ LOVERBOY‬को यह बात पताचली उन्होने दलबल लेकर #MAHAPADA निवाशी वर के घरवालोँ पर हमला करदिया ।
अब वो थे सिर्फ 4/5 लौँडे भला कबतक [Mahapada] गाँववालोँ से लढ़ते ?
बिचारोँ का पहले पिटाई हुई फिर
गाँववालोँ ने उन सबको पुलिस के हवाले कर दिया ।
हमेँ पता नहीँ की वह 15वर्ष की लड़की उस लौँडे से प्यार करती थीँ या नहीँ
पर अगर वो करती थीँ
तो लौँडे को उसे समझा बुझाकर अपने तरफ कर लेना था ।
फिर लड़की अपने कम उम्र मेँ किये जा रहे शादी के खिलाफ अपने परिवार पर पोलिस केस
ठोक सकती थीँ आखिरकार कानुन के हाथ लम्बे होते है
और फिल्हाल एक ‪#‎ लबरवॉय‬कानुन के सिकंजे मेँ फँसचुका है ।
गाँव मेँ सब इसे ONESIDE LOVE मानकर उसका मजाक उड़ा रहे है

शोला हुँ....,

शोला हुँ ,
भड़कने की गुजारिश नहीँ करता
सच मुंह से निकलजाता है
कोशिश नहीँ करता
मेँ जख्म तो रखता हुँ नुमाईश नही करता........मुजफ्फर
ये ताकतवर शेर लगता हे मेरे व्यक्तित्व के लिये फिट बैठता है । एक तरह से मेँ क्रोध करनेवाले इंसान हुँ जब सच्चा को झुठा बतायाजाय, मुझसे मेरे परिवार से कोई जोर जबरदस्ती करने की कोशिश करता है तब मेँ क्रोधित हो जाया करता हुँ ।
परंतु मैनेँ क्रोध को बस मेँ किया हुआ है यह जानते हुए कि ये विनाशकारी और हानिकारक हे मेँ तबतक सहनकरता हुँ जबतक किसी बात को सहन कियाजासके ।
हम सारे कायेनात से अमन कि आशा रखते है वशर्ते वो हमपर वेवजह हमलेँ न करे ।
खुद जल जायेगेँ,किसीको जलाएगेँ नहीँ ।
शैतानीयतको वही दवा देगेँ बढ़ायेगेँ नहीँ ।
रव को भी ये ही बात तो पसंद है अलताफ ।
हम भी खुश रहेगेँ बाद मेँ पस्तायेगेँ नहीँ ।

माँ ने दिया अपने ही बेटे को धोखा

लौँडा किसी को दिल ओ जान से चाहता है और लड़की भी उसे ही पसंद करती हे ।
च्युँकि उसे अपनी माँ पर यकिन था की उसकी माँ उस लड़की से
उसकी शादी करवा देगी ।
उसने अपनी दिल की बात माँ को बतादिया अब उसकी माँ थीँ बड़ी चालवाज !
उसने उस लड़की को ऐसा धमकाया की अब वो लड़के से दूरी बनाने लगी ।
लौडेँ का दिल चंचल था , उसका वो बदमाश दिल एक और कमलनयना पर आ गया ।
लड़की उसे टकटकी लगाकर देखा करती थीँ लड़का उसके मोहफास मेँ फँसगया ।
इसबीच उसकी माँ को इस काँड़ का भनक लगगया सो उसने वो दुसरीवाली लड़के के घरवालोँ को कहदिया की इसकी शादी करवा दो ।
इसतरह से एक माँ नेँ अपने बेटे के शादी मेँ दहेज पाने के चक्कर मेँ अपने बेटे के दिल से छल किया ।
कहानी लिखेजानेतक तिनोँ की शादी हो चुकी है और वो लौँडे का दुसरीवाली लड़की से शादी हुआ । लड़के ने लड़की को भगाकर शादी कर लीँ च्युँकि वो दोनोँ एक ही जाति के थे अतः इसमेँ किसी को ज्यादा आपत्ति भी न हुई ।
यह मेरे गाँव का एक किस्सा है ,,,,और इससे यही मोराल मिलता हे कि दिल की राज अपनी माँबाप से भी छुपाकर रखो अगर वो यकिन के लायक नहीँ हो ।
परंतु यहाँ एकबात समझमेँ नहीँ आया कि आखिरकार किसका प्यार सच्चा था पहलीवाली लड़की का या दुसरीवाली का ?

गुरुवार, 2 अप्रैल 2015

बग्गा मामा की करामात्

गाँव मेँ आज ‪#‎ बग्गा_मामाजी‬के कारनामोँ कि चर्चा है !!!!
मामीजी तो वैसे भी उनकी बहन कि शादी मेँ Busy है
इधर मामाजी भूवनेश्वर से आज सुबह सवेरे गाँव लौट आये
आते हि गाँव के देशी भट्टी से दो तीन वटल चढ़ा लिया
और स्नान के लिये नदी कि और चल दिये
अब नदी मेँ स्नान करते समय उनका सामना ‪#‎ गाँजा_गुरुओँ‬से हो गया !
युँ तो गाँजा पीनेवाले खुद को धार्मिक बताते है पर वो असल मेँ बड़े धृत होते है ।
मेरे बेचारे भोलाभाले मामाजी को बहकाने लगे चिढ़ाने लगे
मामाजी को गुस्सा आ गया और उन्होने एक को ‪#‎ ब्राह्मणी_नदी‬मेँ डुबा देने कि कोशिश कि पर उनके चेलोँ ने बचालिया !
अकल ठिकाने आ गया होगा
मामाजी इतने मेँ रुक जाते तो ठिक था पर उन्होने तो फ्री मेँ एक और पंगा ले लिया
अब उनका नशा उतरगया था वो स्नान के बाद फिर भट्टी कि और चलदिये
अब वहाँ किसी दलित वर्ग नेँ उसे चिढ़ाया
फिर क्या था उन्होने उनसब पर अपशब्द कि वारिस करदिया
अब देखिये कुत्तोँ के झुँड होता है ! आ गये हमरे मामा को काटनेऔर हमारे मामा 56 इंच के छाती के साथ आखरी दमतक लढ़ते रहे
आपको बता देँ कि बग्गा मामा वही है जिन्होने कुछदिन पहले हमारे पंचायत के सरपंच को चैलंच दिया था और गाँव के लिये उन्हे केजरीवाल कि तरह जैल जाना पड़ा था !
लोग अकसर उन्हे केजरीवालजी जैसा बदनाम करते पर गाँववालोँ को पता है वो कितने ईमानदार है

शादीवाले दिन ही कन्यापक्ष के हातोँ पिटगये बाराती और दुल्हा

ये करिबन 7 साल पहले कि बात होगी । ब्राह्मनी नदी के उस पार पड़ोशी गाँव तेँतुलियापड़ा मेँ एक लड़की की शादी अचलकोट गाँव [कटक जिल्ला] के एक लौँडे से हो रही थी । अब हुआ ये की शादीवाले दी लौडेँ ने एक्साईमेँट मेँ थोड़ा ज्यादा चढ़ा लिया और गाड़ी ठोक दी । हालाकी इससे उसका खास नुकशान न हुआ ,मामुली खरोच पर पट्टी लगाकर लौड़ाँ शादी के लिये तैयार हो गया । रस्ते मेँ उसके एक दोस्त नेँ उसे कहा
"देखा शादी से पहले एक्सिडेँट हो गया बेटा शादी करने पर कहीँ तेरा राम नाम सत्य न हो जाय "
ये एक मजाक या जोक था
पर लौँडा तो सिरियस हो गया
कहाँ वो सौम्य सुकुमार रुप लेकर शादी करने चला था एकाएक उसमेँ विनाशकारी शिवजी प्रकट हो गये ।
शादी के मंडप मेँ फुल टल्ली होते हुए उसने और ज्यादा दहेज और गाड़ी माँगना शुरुकरदिया । लोग उसे चुप करने गये तो वो अपशब्द या गाली देने लगा ।
लड़कीवालोँ को झुकना था सो वो चुप रहे परंतु लड़की को ये सहन न हुआ और उसने लौडेँसे शादी करने से मना करदिया । अब घरवाले परेशान की क्या करेँ ? घर की बदनामी अलग लड़की से शादी कौन करेगा ?
ईतने मेँ हमारे स्मार्ट सोमुचाचा नेँ आगे आकर कहा मेँ उसका लवर हुँ मेँ उससे शादी करुगाँ !
गाँववाले हैरान और खुश थे
शादी हो गया !
इधर अचलकोट गाँव का दुल्ल्हा अपने बारातीओँ को साथ घर मेँ बँद था या युँ कहेँ कैद था ।
शादी खत्म होने के बाद तेँतुलियापड़ा गाँव के लोगोँ ने उनकी अछी खातिरदारी की और सोमुचाचा बतारहे थे की दुल्ल्हे को 2 दिन बाद खिला पिला कर पुलिसवाले मामाओँ के साथ उसके गाँव भेजा गया था !

सोमवार, 5 जनवरी 2015

शुन्य एक गजल

दुःख मेँ जीवन कि अंत होगा कौन समझेगा

धीरज रतन कि खान है कौन समझेगा

शैया मिलता है काटेँदार फुलोँ कि प्यार मेँ

सरल हृदय को ज्ञात था कौन समझेगा

लुटगया चार घडी के प्रवास मेँ

युगोँ युगोँ से पहचान थी कौन समझेगा

वैद गये और कुछ आराम मिलगया

दर्द ही मेरा मर्ज था कौन समझेगा !

दे गई जो धार जमाना कि जीभ ने

निज कर्मोँ कि प्रायश्चित थी कौन समझेगा !

जहाँ जहाँ मिले उडते सौन्दर्य कि ध्वजा ।

वहाँ वहाँ प्रेम कि पदचिह्न थी कौन समझेगा ।

पागल के मौन से जिस कयामत से परिचय हुआ था ।

मित्था अभिमान भरा अभिव्यक्ति थी कौन समझेगा ।

कारण न पुछ प्रेमी हृदय . जन्म मृत्यु कि निर्दोष खेचतान थी कौन समझेगा ।

वेहोश हो गया मौत जिसके लिये

जीवन सुरा कि मद थी कौन समझेगा

ईश्वर के रुप मेँ जिन्हे सारादुनिया जाने

वो शुन्य कि ही पहचान थी कौन समझेगा

(गुजराती शायरी "शुन्य"कि हिँदी अनुवाद]