गुरुवार, 29 जून 2017

व्यावहारिक_ज्ञान_तथा_प्रयोगात्मक_विद्या_के_बिना_पोथीज्ञान_निरर्थक_ही_है

पुरुषोत्तमपुरीमें एक पंडित जी थे
काशी रिटर्न ....
एक बार पंडिताइन नदीमें नहाने जा रही थी
जाते वक्त उनको कहगयी
चूल्हे पर दुध बिठाऐ नहाने जा रही हुं
ध्यान देना कहीं ऊबल न जाए

इतना कहके पंडिताइन नहाने चलीगयी ...

पंडित जी शास्त्र अध्य्यन करते हुए
हांडि पर भी नज़र रखे हुए थे

कुछ देर बाद स्वभावत: दुध ऊबलने लगा

पंडित जी ने सोचा ये सब अग्नि देव के कोपके वजह से हो रहा है

उन्होंने शास्त्र में से कई मंत्रों के जरिए
उनको शांत करना चाहा
परंतु दुध ऊबलता रहा

फिर उन्होंने सोचा शायद वे गलत देवता को ध्यान कररहे थे

तो पंडित जी वरुण देव का स्तुति गान करने लगे लेकिन कौनो फायदा नहीं हो रहा था
दुध अब भी ऊबल रहा था

इतने में पंडिताइन आ गयी
उन्होंने देखा पंडित जी ध्यान मुद्रा में मंत्रोच्चारण पूर्वक देवता आवाहन में लगे हुए है
फिर पंडिताइन ने
चूल्हे से आग कम् करते हुए दुधमें थोडा पानी डाल दिया ओर सब ठिक् ठाक् हो गया....

पंडित जी दूर से ये सब देख रहे थे
अबतक पंडित जी पंडिताइन को महामूर्ख समझते हुए उनका सर्वथा अनादर करते आ रहे थे
लेकिन इस घटना के बाद उनके सोचमें
बडे बदलाव देखेगये....
सच है
#व्यावहारिक_ज्ञान_तथा_प्रयोगात्मक_विद्या_के_बिना_पोथीज्ञान_निरर्थक_ही_है

मंगलवार, 27 जून 2017

संक्षेप में जॉन लेनन

एक समय Jhon Lennon नें "द बिटल्स" कि ओर से कहा था कि द बिटल्स जिसस् क्राइट्स से भी ज्यादा फैमस है....

इससे क्रिस्चियन कट्टरपंथियों को इतना मानसिक तनाव हुआ कि उन्होंने कई पश्चिमी देशों में द बिटल्स के एल्बमों को सामुहिक दाह संस्कार कर दिया था.....

यही जॉन लेलन बादमें अमरीकन राष्ट्रपति निक्सन से उलझगये थे.....
लेनन और उनकी पत्नी युको नें विश्वभरमें Antiwar मुवमेंट चलाया....
ये वो दौर था जब निक्सन सरकार भिएतनाम् में उलझा था ओर इधर देशभर में उस सरकार के खिलाफ केंडल मार्च हो रहे थे
तरह तरह के हिंसक अहिंसक जुलूस निकाले जा रहे थे....

जॉन लेनन् नें कहा 'War is Over if you want'
सारे विश्व में यह पोस्टर लगे....
अमरीकन सरकार डरने लगी उसने लेनन के खिलाफ सिबिआई को लगादिया
लेनन कहां माननेवाले थे
उन्होंने भिएतनाम युद्ध के खिलाफ
अपना बाल लंबा छोड़ दिया ओर उसे Hair Peace नाम दे दिया
वह मंचेष्टर में अपने पत्नी युको के संग हनीमून करने गये वहां उन्होंने Bed पर पत्नी के संग एक खास इंटरव्यू दिया ओर इस तरह के मुबमेंट को Bed peace कहने लगे....

अमरीकन सरकार नें वीज़ा के मामले में लेननको फंसाना चाहा लेकिन वो विफल रहे
अंततः लेनन कि जीत हुई ।
जॉन लेनन नें दुनिया को २ बेहतरीन गीत दिए
"Give Peace a Chance"
Single (1969)
और
Imagine
गिभ् पिस् अ चांस सत्तर के दशकमें आंटि वार मुबमेंट का नेसनल एंथेम् बनगया था....
ओर इमाजीन तो बहरहाल सारे मानवजाति का इंटरनेशनल एंथम् कहाजाय तो गलत न होगा....
आखिरकार शांति के आगे एक बार फिर हिंसा ओर अहं कि हार हुई....
१९७३में देशमें बढते अशांति को देखते हुए  निक्सन को मजबूरन इस्तीफा देना पडा था....

जॉन लेनन् महात्मा गांधी को अपना आदर्श मानते थे ओर सिर्फ मानते ही नहीं थे उन्होंने गांधी के कहे बातों को अपने जीवन में कर दिखाया था....

लेकिन देखागया है
शांति कि बात करनेवालों को दुनिया मार देती है....
गांधी को १९४८में गोली मार दिया था

वर्षों बाद १९८०में एक गांधीप्रेमीको भी उसी तरह गोली मारदिया गया था....
उसने बस दुनियावालों को प्यार सिखाने कि कोशिश कि थी....
लेकिन शायद दुनियावालों को प्यार पसंद ही नहीं है....

सोमवार, 26 जून 2017

आवास योजना और साहुकारन मौसी

गांवों में आवास योजना से लाभ लेनेके लिए लोगों मे उत्सुकता पिछले दिनों अपने चरम पर था....
सरकार से देढ लाख कि धनराशि घर बनने के लिए मिलरहे थे तो लगभग ज्यादातर लोगों ने इसके लिए फर्म डालना चाहा....
अब ऐसे मामलों में लोग उतने जानकार नहीं होते तो वो किसी स्थानीय जानकार कम् पार्टी दलालों से सहायता मांगते है....
हमारे गांव के लोगों ने भी यही किया
कुछ रुपयों के एवज में स्थानीय पार्टी दलालों नें भी कमर कस लिया....

गांव कि एक झगडालु साहुकारन महिला को जब पताचला देढ लाख मिलरहा है वो भी इस योजना से लाभ उठाने हेतु
फर्म भरने पार्टी दलाल के पास पहंच गयी.....
उसे देख दलाल हैरान
पुछने लगा क्यों मौसी क्या हो गया
मुझे बुला लेती ?
साहुकारन मौसी बोली
बेटा सबको १.५० लाख मिलरहा है मुझे भी दिलवा दे.....
दलाल नै हंसते हुए कहा
मौसी यहां घर बंट रहा है घर
पैसे युंही नहीं मिलेगें
घर बनाने होगें और इससे पहले
और बादमें इन्क्वायरी भी होगी
अब तु कहां घर बनवाएगी
घर के उपर 😂😂😂
तब तो जेल जाएगी बुढ़ापे में

इतना सुनना था कि बुढि मौसी डरते हुए बोली ना बेटा ना हमें जेल नहीं जाना
तु अपना घर ओर पैसा अपने पास रख मैं तो चली....

रविवार, 25 जून 2017

कौन है संस्कृत के हत्यारे


मुस्लिम शासकों द्वारा फ़ारसी को राजभाषा बनाए जाने से पहले संस्कृत भारत का राष्ट्र भाषा था

आधिकारिक भाषा के रूप में फारसी और फारसी के साथ 800 से अधिक वर्षों के संपर्क के परिणामस्वरूप,
उत्तर भारतीय भाषाओं ने फारसी से बड़े पैमाने पर शब्द उधार लिया और खुद को बदल दिया।

लेकिन दक्षिण ने अभी भी संस्कृत का उपयोग बरकरार रखा था,
और कर्नाटिक संगीत फारसी से प्रभावित नहीं था, इसलिए 18 वीं शताब्दी तक कर्नाटक संगीत ने संस्कृत में अपना सफर जारी रखा, दक्षिण में कई भाषाई शुद्धतावादी आंदोलन आए ।
इससे लोगों ने संस्कृत से द्रविड़ भाषाओं में अधिक लिखना शुरू कर दिया  (हालांकि संस्कृत अभी भी पर्याप्त था ओर ऐसा ओडिशा में भी हो रहा था)।

इस बीच उत्तर में हिंदुस्तानी भाषा का उदय हुआ, जो मुख्यतः फारस-अरबी नके देर इंडो आर्यन भाषा तथाशैलीओं से विशेष रूप से प्रभावित था ।

देहलावी, जिसे उर्दू कहा जाता है आम जनता की  भाषा बनगयी या जबरदस्ती बनायी गयी थी लेकिन कई कठोर सुगम बोली जाने वाली भाषाओं को एक साथ हिंदी कहा जाता था, जो देहली से अलग था....ये भाषाएं गांवों में बोली जाती थी...

उत्तर भारत में संस्कृत अब एक सुगम भाषा नहीं थी, जबकि एक भाषाई आंदोलन के कारण केरल में और तमिल अभिजात वर्गों में एक सुगम भाषा बन गई थी,
संस्कृत का सीधे द्रविड़ भाषा में कठोर मिश्रण हुआ है, जिसमें आकृति विज्ञान, व्याकरणिक और लेक्सिकल परिवर्तन शामिल है (लेकिन सरल ऋण नही हैं)
परंतु जैसा कि शुद्धता आंदोलन शुरू हुआ, जिससे लोगों ने अपनी भाषा के अधिक मानकीकृत संस्करणों पर तबज्जौ देना शुरू करदिया....

केरल ने संस्कृत के बहुत से शब्दों का इस्तेमाल किया, क्योंकि केरल में कई भारतीय पोर्ट हुआ करते थे सो राष्ट्रीय भाषा होने के कारण
संस्कृत के कई शब्द प्राचीन काल से ही स्वाभाविक रूप से इस्तेमाल किया जा रहा था...

लेकिन तमिलनाडु के लोगों ने देखा
कि उनकी भाषा संस्कृत के साथ संपूर्ण संगत नहीं थी, और यह कि कुछ जगह पहले ही अस्तित्व में थी, जहां कोई संस्कृत नहीं था, इसलिए उन्होंने "संस्कृत को शुद्ध करना" प्रारम्भ कर दिया
वो अब मूल द्रविड़ शब्द व्यवहार करने लगे ।

वहीं
तेलुगू ओर ओडिआ यानी कलिगांन् भाषा बहुत ही संस्कृत जैसा था, यहां तक ​​कि कन्नड़ भी था, लेकिन मलयालम में संस्कृत का उतना प्रभाव नहीं पडपाया ....

उत्तर में, इस बीच, उर्दू-हिंदी विवाद जोर पकडने लगी
और देहलावी को उर्दू और हिंदी में विभाजित किया गया,
भारत आर्यन (खड़ीबोली) की देहली भाषा के लिए नई हिंदी स्थिति स्थापित कि गयी

उर्दू में फारस अरबी शब्दार्थ के रूप में, उत्तर भारत के लोगों ने अपनी भाषा को शुद्ध करने के लिए भी सोचा, जिसके परिणामस्वरूप डीहॉलवी ने एमएस हिंदी बनाने के लिए संस्कृत से पुनः कुछ शब्द उठाया ओर सामिल करलिया

और अच्छी तरह से ज्ञात राजनीतिक और सांप्रदायिक तुष्टीकरण एजेंडा के कारण, संस्कृत को उद्देश्यपूर्ण रूप से निराश किया गया और एमएस हिंदी नामक कृत्रिम भाषा को लागू किया गया था.....

वहीं दक्षिण में तमिलनाडु द्वारा ग्रंथ लिपि को नष्ट कर दिया गया था....

उत्तर में एमएस हिंदी के लागू होने के साथ, वास्तविक भाषा संस्कृत कभी भी वापस जीवित नहीं हो पायी
क्योंकि मिस हिंदीजी
संस्कृत पर हावी होती गयी
तो मिस् हिंदी नें संस्कृत को मारदिया

तमिलों ने संस्कृत की उपेक्षा की

और हमारे कुछ भाई सोचते हैं कि उन्हें सीधे फारस और अरब से आयात किया गया है, इसलिए वे संस्कृत भी नहीं बोलते हैं
ओर इस तरह
भारतीयों ने  संस्कृत को मार दिया

क्या हिंदी भारत कि राष्ट्रभाषा है ?????


संविधान के अनुसार, भारत एक बहुभाषी राष्ट्र है ।
इसमें 22 मूल तथा बडे भाषाओं का नाम जोडा गया हैं जिसमें  असमी, बंगाली,डोगरी, गुजराती, हिंदी,कन्नड, कश्मीरी,कोंकणी, मैथिली,मलायलम, मणिपुरी,मराठी, नेपाली,ओडिआ, पंजाबी, संस्कृत,सांताली,सिंधी, तामिल, तेलुगु ओर उर्दू सामिल है ।
लेकिन देखा जा रहा है अमीर भारतीय लोग पहले अंग्रेजी भाषा को  प्राथमिकता देते हैं वहीं गरीब परंतु पढ़े-लिखे भारतीय हिंदी को...
पहले देशमें अंग्रेजी का उपयोग ज्यादातर स्कूलों और कार्यालयों में संचार के माध्यम के रूप में किया जाता हथा
मोदी सरकार ने बड़े पैमाने पर अपने मंत्रियों और अधिकारियों को हर जगह हिंदी भाषा का इस्तेमाल करने के लिए कहा है ....
यहां तक कि अहिंदीभिषी क्षेत्रों में भी हिंदी​ होडिगं माइलस्टोन लगाए जा रहे है....

श्री मोदी ने अपनी पहली आधिकारिक विदेश यात्रा के दौरान भूटानी संसद में हिंदी में अपने भाषण दिया था
भारत के सभी सरकारी कार्यालयों में उनके सिस्टम में हिंदी सॉफ्टवेयर स्थापित हुआ

नई सरकार के अनुसार, सभी अधिकारियों और कर्मचारियों को केवल हिंदी में ही अच्छी तरह से वाकिफ होना चाहिए....

विदेश मंत्रालय (विदेश मंत्रालय) हिंदी को आधिकारिक भाषा के रूप में बढ़ावा देने के लिए तैयार है ....

ओर इसलिए
हिंदी के लिए राष्ट्रीय भाषा की स्थिति आज देश भर में एक लंबी बहस वाली विषय है...

कुछ लोग कहते है कि
हां - हिंदी को आधिकारिक भाषा होना चाहिए।
उनका तर्क कुछ इस प्रकार है

1. भारतीय संविधान -
भारतीय संविधान बताता है कि हिंदी को भारत की आधिकारिक भाषा होना चाहिए। यह देवनागरी लिपि में होना चाहिए । फिर भी, कई क्षेत्रों इस तथ्य को स्वीकार करने के लिए तैयार नहीं हैं
2. व्यापक रूप से बातचीत की भाषा-
हालांकि भारत में 22 भाषाओं हैं, लेकिन हिंदी सभी में सबसे अधिक बोलेजानेवाली भाषा  है । हिन्दी दुनिया में 5 वीं सबसे व्यापक रूप से बोली जाने वाली भाषा है (बंगाली तिसरी)
3. हिंदुस्तान -
भारत को मुस्लिम गुलामी के समय "हिंदुस्तान" के नाम से जाना जाता था। शब्द का अर्थ है कि भारत हिंदी बोलने वाले लोगों की भूमि है। इसलिए, यह राष्ट्र की आधिकारिक भाषा होना चाहिए.....

4. पहचान -
आजादी से पहले, हिंदी को आधिकारिक भाषा माना जाता था । आज, अंग्रेजी एक वैश्विक भाषा है लेकिन इसका मतलब यह नहीं है कि हमें इसे अपनाना चाहिए ।
हमें अपनी पहचान को बढ़ावा देने की कोशिश करनी चाहिए

5. ग्रामीण भारत -
लगभग 75% देश गांवों में रहते हैं जहां लोग हिंदी से ज्यादातर जानते हैं। इन लोगों के लिए अंग्रेजी अपनी आधिकारिक भाषा के रूप में स्वीकार करना कठिन होगा।

लेकिन इसकी सच्चाई उतना ही यथार्थवादी है जिसे हिंदीभाषी नकार नहीं सकते....

#नहीं_हिंदी_को_आधिकारिक_राष्ट्रभाषा_नहीं_होना_चाहिए।

1. कोई रिकॉर्ड नहीं -

गुजरात उच्च न्यायालय ने हाल ही में एक बयान जारी कर कहा है कि हिंदी देश की राष्ट्रभाषा नहीं है । संविधान में हिंदी को आधिकारिक भाषा के रूप में और राष्ट्रीय भाषा के रूप में नहीं बताया गया है ....
इसलिए, आधिकारिक भाषा के रूप में हिंदी का उपयोग करना आवश्यक नहीं है, जरुरी नहीं है.....

2. एकाधिक भाषाओं का देश -

भारत कई भाषाओं का अनुसरण करता है उदाहरण के लिए, यदि किसी को तमिलनाडु में किसी को नौकरी मिलती है, या कोई तामिल उत्तर भारत में नौकरी करता है तो उसे स्थानीय भाषा बोलना पड़ सकता है..
आप
अहिंदीभाषी क्षेत्रों में लोगों​के साथ उनके मातृभाषा में ही संपर्क साधने के लिए बाध्य हो सकते है च्युंकि हरकोई हिंदी या अंग्रेजी नहीं समझ सकता ओर समझता भी तो बोलनहीं पाता ।
अगर ऐसे में कोई व्यक्ति एक बहुराष्ट्रीय कंपनी में शामिल हो जाए, तो उसे अंग्रेजी बोलना पड़ सकता है इसलिए, देश के लिए भाषाई समानता की जरूरत है न कि एक या दो भाषाओं को सबपर थोपना.....

3. बोलने का अधिकार -
इस देश में लगभग 22 भाषाओं मौजूद हैं और इस प्रकार, लोगों को उन भाषाओं में से किसी भी भाषा में बोलने का अधिकार है.....
आप किसी को बाध्य नहीं करसकते कि Sisir Kumar Sahoo तु facebook में अपना नाम हिंदी में कर ले....

4. सद्भाव - किसी देश की आधिकारिक भाषा पर बहस बनाना या किसी देश की सद्भाव को परेशान नहीं करना। हमारे देश को विविधता में इसकी एकता के लिए सबसे अच्छे तरह से जाना जाता है
हिंदी को जबरन ना थोपना चाहिए.....

5. विदेशी संबंध - हिंदी के बजाय, अंग्रेजी का व्यापक रूप से हमारे देश में अभ्यास किया जाना चाहिए। सरकारी कर्मचारियों को अंग्रेजी बोलने में कुशल होना चाहिए यह विदेशी संचार को बेहतर बनाने में भी मदद करेगा
निष्कर्ष
भारत की आधिकारिक भाषा की स्थिति के बारे में बहस एक सतत प्रक्रिया है। लोगों का एक समूह हिंदी को आधिकारिक भाषा के रूप में पहचाना जाता है और दूसरी मांग अंग्रेज़ी मोदी सरकार पूरे देश में हिंदी भाषा को बढ़ावा देने में तनाव दे रही है। हालांकि तमिलनाडु में कुछ राजनीतिक दलों द्वारा इस की आलोचना की जा रही है, प्रयास ने कुछ सफलता हासिल की है।

शुक्रवार, 9 जून 2017

----------घर्म-------

घमोरी ओर ओडिआ में ଘିମିରି(घिमिरि)
दोनों ही वैदिक शब्द #घर्म से जन्में है.....
घर्म=घृ धातु(क्षरण होना )+कर्त्तु.म......

प्राचीन काल के भारत में लोग पसीने को #घर्मजल कहते थे ओर #स्वेद भी....(संस्कृत स्वेद शब्द से अंग्रेजी में sweat शब्द प्रचलित हुआ...)
आधुनिक संस्कृत में घमोरीको #घर्मचर्च्चिका कहाजाता था....
ओडिआ में घमिर,घिमिर ओर घिमिरि आदि शब्द प्रचलित है....
उदर साफ न रहने से,हर्मोन असुन्तलन ,रक्त अशुद्धता असुन्तलित खाद्यपेय ग्रहण तथा विशाक्त अतिगर्म जलवायु से प्रभावित होकर हमारे शरीर के स्वेदकूप बंद हो जाते है इससे घमोरी होती है....

इस घर्म शब्द को तिन अन्य अर्थों मे भी प्रयोग किया जाता था....
१.ग्रीष्म
२.रौद्रताप,धूप
३.गर्मी.....
ईरान~अफगानीस्तान के लोग पुरातनकाल में जब सनातनी हुआ करते थे वह लोग भी वैदिकभाषा वोलते थे । इस कारण वहां के आधुनिक भाषाओं में भी वैदिक शब्द मिलजाते है....
हमारे देशका घर्म शब्द पार्सी भाषा में आज उसी अर्थ में #गर्म हो गया है.....
हमने भी इस नये शब्द को उठाकर अपने भाषाओं में जोडलिया....ओर भूला दिया गया इसका मूल शब्द.....