शनिवार, 4 अप्रैल 2020

लंगूर व बुढी औरत

बुढ़ापा आते हीँ आँख को कम दिखने लगता है
हर चीज अस्पष्ट दिखता है ।

इस विषय पर हमारे गाँव मेँ एक मजेदार किस्सा अकसर लोग सुनाते ;-)

गाँव की विश्वाल परिवार कि एक बुढ़ी औरत
हर शाम 5 से 6 बजे के द्वरान
बांध की और शौच हेतु जाती थीँ

एकबार वो शौच स्नान आदि खत्म कर घर को लौट रही थी

थोड़ा अंधेरा हो गया था ।

आते हुए उसने उनके
बाड़ी के पास एक लंगुर रस्ते को लगते हुए बैठा था ।
:-D :-D :-D :-D :-D
उस बुढ़ी औरत को लगा की मानोँ कोई व्यक्ति वहाँ बैठकर शौच कर रहा है और पराई स्त्री को देख कर भी उसमेँ इतना मर्यादा नहीँ की वो खडा नहीँ हो जाता ।
:-D :-D :-D :-D :-D :-D  

उस बुढ़ी औरत को ठिक से दिख नहीँ रहा था की एक लंगुर है

उसने उस लंगुर के नजदिक जाकर कहा

कौन है रे तु तुझमेँ इतना भी शर्म नहीँ तु औरत के सामने बैठकर शौच करने लगा :-D :-D :-D (हगने लगा:-D :-D)

अब पतानहीँ उस लंगुर ने क्या समझा उठकर उस बुढ़िया के गाल मेँ जोरदार तमाचा लगादिया ।
:-D :-D :-D :-P :-P :-P

वो बुढ़ी औरत थप्पड खाने के बाद रोते हुए घर लौटी । घरवालोँ को बताया ,उन्होनेँ खोजबीन की तो पताचला एक घायल हुआ एक लंगुर जो अब भी वहाँ बैठा था शायद उसी नेँ बुढ़िया के गाल लाल किया था ।
:-D :-D :-P :-P

बुधवार, 18 जुलाई 2018

उपनाम

नारीवादी आंदोलन में नारा देते हुए:-
“बन्द करो !
बन्द करो !
शादी के बाद
लेडकीओं का उपनाम बदलना बंदकरो !”

अमरवा ने
एक आंदोलनकारी से पुछा....
भैया आखिरकार उपनाम बदलने में आप लोगों को क्या तकलीफ हो रही है
अडचनें आएगें भी तो लेडकिओं को होगी...न....

आन्दोलनकारी युवक वोला
यार असल में स्कूल में पढते समय हमारे साथ पढनेवाली लडकियों को फेसबुक में ढुंढने में मुस्किल हो रही है....
तभी हम धरने में बैठे है.....
😀😀😀

शनिवार, 30 जून 2018

डॉक्टर डे

भारत मेँ आज 1 जुलाई डॉक्टरोँ का खास दिन राष्ट्रिय चिकित्सक दिवस यानी की #National_Dooctors_Day  हे । India that is भारत देश मेँ इसकी शुरुवात
भारत सरकार द्वारा 1991 मे किया गया था  । 

1 जुलाई 1882 को पटना, बिहार मेँ प्रसिद्ध भारतीय चिकत्सक Dr B.C ROY [Bidhan Chandra Roy] का जन्म हुआ था और एक जुलाई को ही 80 वर्ष के उर्म मेँ 1962 को इंतकाल हो गया था !  

चिकत्सा क्षेत्र मेँ उनके वहुमूल्य योगदान के लिये  भारत सरकार ने उनके जन्म व मृत्युदिवस को National Docters Day का दर्जा दिलाया ।

विधान चंद्र रॉय ने कोलकत्ता मेँ अपनी मेडिकाल ग्रेजुएसन पुरा किया था और लंदन से वे 1911  को MRCP और FRCS डिग्री लेकर के भारत मेँ मेडिकल प्रक्टिस के लिये लौटे !

उसी वर्ष वे कोलकत्ता मेडिकल कॉलेज से मेडिकल शिक्षक के तौर पर  जुडे और बादमेँ Campbell Medical School व Carmichael Medical College मेँ भी कुछदिनोँ के लिये कार्यरत थे ।

इस बिच महात्मा गांधी के नेतृत्वमे हो रहे अहिँसक आंदोलन मेँ भी उन्होने भागलिया ।

  स्वतंत्रता के पश्चात वे कंग्रेस लिडर बने और  पश्चिम बंगाल के द्वितीय मुख्यमंत्री भी !

भारत सरकार ने उनको 4 फरवरी 1961 मे भारतरन्त पुरस्कार से सन्मानित किया था

और

1976 से हरवर्ष उत्कृष्ट डक्टरोँ को चिकित्सा के क्षेत्र मेँ उनके अछे काम के लिये Dr. B. C. Roy National Award दिया जा रहा है ।

वहीँ विश्व मेँ सबसे पहले डॉक्टर डे  Doctors’ Day 30 March, 1933, विन्डर [Winder] जर्जिआ मे मनाया गया था ।

इसे मनाने कि Idea Dr. Charles B Almond कि पत्नी  Eudora Brown Almond को सबसे पहले आयी थी ।

उन्होने सुझाव दिया कि प्रथम सफल साधारण anesthesiain surgery च्युँकि  March 30, 1842, को  Jefferson , Ga. Dr.  Crawford Longused etherto ने किया था इसी दिन को डॉक्टर डे के रुप मेँ मनाया जाय । उसी वर्ष जर्जिआ मेँ कुछ डॉक्टरोँ ने मिलकर डॉक्टर डे मनाया ।
  October 30, 1990 को US पार्लामेँट ने कानुन पारित कर 30 मार्च को United nation का National Doctor's Day के रुप मेँ दर्जा दिया था । 

ड़ॉक्टर डे मेँ डॉक्टरोँ को समाज के सेवाहेतु नूतन उर्जा मिलता है ।

भारतीय डॉक्टरोँ से अनुरोध हे कि वे अपनी सेवा सिर्फ गाँव तक सीमित न रखते हुए गाँव के दूर्गम क्षेत्रोँ मेँ भी चिकित्सा सेवा मुहैया कराएँ तभी #DOCTERSDAY मनाये जाने के पिछे का उद्देश्य सफल होगा ।

रविवार, 15 अप्रैल 2018

नग-नगर-नागरिक

नागरिक शब्द बना
नगर+इक=नागरिक
नगर शब्द का निरुक्ति
=>नग+(है अर्थ में)र
नग शब्द का निरुक्ति =न+गम् धातु+कर्त्तु.अ=नग
नः ग....
यानी जो गति नहीं करता वह नग है ।
नग शब्द के कई संस्कृतगत अर्थ है
जैसे कि .....
१.वृक्ष
२.पर्वत
३.सात संख्या
४.सर्प
५.सूर्य

अब ज़रा आते हैं नगर पर
आज विश्व में अधिकांश नगरों में
वृक्ष कहाँ है....?
वृक्ष तो गांव में हीं बचगये है.....

पर्वत तो सहरों में होते है
परंतु सभी सहरों में पर्वत होते हो जरूरी तो नहीं है.... हां आधुनिक मानव पर्वत से भी उँचे महल बनवा रहा है सहरों में.....
पर्वत होते भी है तो उन्हें पूछता कौन है यहां.....?

सर्प और सहर तो एक दूसरे के शत्रु कहे जा सकते है । पैर न होनेवाला ये सरिसृप बेचारा सहर में कहीं मानवों के दिखगया तो
उसकी खैर नहीं हां परंतु सहरों में सर्पिल मनुष्य बहुतरे मिलजाते है ओर वह सर्पों से कई गुना ज्यादे ख़तरनाक़ होते हैं । असली सर्प तो बस गांव में बचगये है एक-आद सहरों में होगें तो डरे सहमें रहते होगें.....

ओर
अन्ततः सूर्य.....
खैर सूर्य हर कहीं होता है चाहें गांव हो या सहर हो,मरुस्थल हो या हिमालय के चोटी में हर कहीं सूरज मिलजाता है....
परंतु सहरों में उंचे उंचे मकानों नें सूरज को भी छिपादेने का अद्भुत कार्य किया है । सहरों में सूरज,चांद ओर तारों को न देखेजाने का परंपरा रहा है । सहरों में इसलिए लोग मानवों में
सूर्य चंद्र सितारों को अन्वेषण करते है ।

इसलिए आजकल कोई city के लिए भारतीय शब्द ‛नगर’ नहीं कहता
लोग अब वैदेशिक शब्द ‛सहर’ कहने लगे है.....

रविवार, 7 जनवरी 2018

Wrong गलत त्रुटिपूर्ण

मध्य अंग्रेजी शब्द wrong
पुराने अंग्रेज़ी शब्द wrang
का आधुनिक अपभ्रंश है
(पहले wrang का अर्थ था "भूल, मुड़, असमान"),
ओर wrang शब्द पुराना नॉर्स भाषाके
शब्द rangr(मूल-vrangr)से आया है ।
(पहले rangr का अर्थ था "कुटिल, भूल")

ओर
rangr शब्द आया है
प्रोटो-जर्मनिक शब्द wrangaz से....
(*wrangaz का अर्थ हुआ करता थाकुटिल, मुड़, विकृत हो जाना")
वहीं *wrangaz शब्द बहुत संभव
इन प्रोटो-इंडो-यूरोपीय शब्दों से आया होनाअनुमान किया जाता है.....

wer, -, * werǵ -, * wrengʰ-
("मोड़, बुनाई, एकसाथ tie होना ")
ओर
यदि इन शब्दों से wrangaz शब्द का कोई संबंध है तो
उसका मूल होगा
एक प्रोटो-इंडो-यूरोपियन शब्द
wer-("बारी, मोड़")

शब्द werǵ
ईरान में warĵ हुआ ओर भारत में
संस्कृत ने
उसे वृज किया ओर यही
शब्दयुरोप में *wérǵom
होकर फिर बार बार अपना रुप
बदलकर (*werką=>worc,weorc,ġeweorc=>work)
Work यानी कार्य बना.....
वहींभारत में इसके
दो फर्म*.
*wérǵ-o-m*ओर
*wr̥ǵ-tó-sसे
बहुत बदलाव के साथ
एक शब्द बना
स्ववृष्टि(स्वयंकरना,इंद्र कि एक नाम,उपाधि)
Wrong के लिये
संस्कृत में आप कहसकते हो
#त्रुटिपूर्ण
वहीं हिंदी में सर्वाधिक लोकप्रिय शब्द
ग़लत आया है एक पार्सी शब्द غلطसे.......(Wiktionary)

गुरुवार, 21 दिसंबर 2017

क्या कर्ण का जन्म कान से हुआ था ?

क्या कर्ण्ण का जन्म कुन्तीजी के कान से हुआ था इसलिए उनका नाम कर्ण रखागया या जन्म के समय कर्ण के कानों में सूर्य प्रदत्त कुण्डल था इसलिए उनका नाम कर्ण हुआ ....

कुछ लोग आम तौर पर कर्ण के नाम पर यह दोनों मत सुनाया करते है
लेकिन क्या यह बात सच है ?

चलिए जानते है इन बातों में कितनी सच्चाई है.....
पुराणों में
कर्ण्ण को कानीन् कहागया है
कान से जन्में इसलिए कानीन् नहीं 😀
दरसल कानीन् शब्द का अर्थ
है वह पुत्र जो अविवाहित माता के गर्भ से जन्में हो....
नियुक्ति=>कन्या+अपत्यार्थे.इन्=कानीन्

हमारे देशज कान शब्द का संस्कृत प्रतिशब्द
है कर्ण्ण...
इसका निरुक्ति=कर्ण्णि धातु(सुनना)+करण.अ
पर
हमारे महाभारत कथा में पात्र
कर्ण के नाम का नियुक्ति
उससे भिन्न है
कृ धातु(करना)+कर्तु.न=कर्ण(नाम)

कृ धातु का 25 से ज्यादा अर्थ है
पर यहां करने के अर्थ में प
प्रयुक्त हुआ है ....

उसी तरह संस्कृत विशेष्य शब्द
न का पांच अर्थों में से
रण व दान यहां ग्रहण योग्य लग रहा है ..

कुल मिलाकर
कृ धातु+कर्तु.न=कर्ण
इस निरुक्ति व्याख्या
यह है
कि जो दानकरे तथा रणप्रिय है
वो कर्ण है......

महाभारत के वनपर्व अंतर्गत कुंडलाहरन पर्व में कर्ण जन्म प्रसंग आता है
वहां कहीं भी नहीं लिखा गया है कि कर्ण का जन्म कान से हुआ था....

वहां  लिखा है ....

ततः कालेन सा गर्भे सुपुवे वरवर्णिनी ।
कनैव तस्य देवस्य प्रसादादमरप्रभम् ।।

(भावार्थ:-तदनन्तर सुन्दरी पृथाके गर्भ से यथा समय सूर्यदेव के कृपा से कन्या रहते हुए ही देवताओं के भांति एक तेजस्वी पुत्र के जन्म हुआ)

इन सब बातों से स्पष्ट होता है कि
राधा पुत्र राधैय का नाम
उनके दानी गुण व रण कौशल में पारंगत होने के बाद कर्ण पडा़ था......

मंगलवार, 14 नवंबर 2017

Children day special;कैसे बच्चे बनगये डॉलफिन

कैलिफोर्निया के
सुमास कवीले में एक दंतकथा है ।
उनका मानना है कि बहुत साल पहले
उनकी देवी हुतास्
चाहती थी कि जो द्वीप में रहते है वो mainland में चलेजाएँ
तो उन्होंने एक पूल बनाया
Rainbow से
सब लोग उस रेनवो को पार कर रहे थे
मैन लैंड कि तरफ जाने के लिए exited थे 
बच्चे उच्छल रहे थे
बहुत मजे़ कररहे थे
नाच रहे थे
अब आप जानते ही होगें
बच्चे कैसे मजे़ करते है
खैर
उन बच्चों में से बहुत से बच्चे
इत्ते उधम मचाने लगे कि
एक दुसरे को
धक्का मुक्की का खेल खेलने लगे
इससे यह हुआ कि बहुत से बच्चे
बीच समंदर में ही गिरने लगे
उनको बचाने के लिए
कोई भी बडा आदमी आगे न आया
च्यूंकि उन्हें डर था की कहीं
इससे उनकी
देवी ह्युतास् उनसे नाराज़ न हो जाय .......
पर हुतास् नें उन्हें बचालिया
उन बच्चों का खेलना
हुतास् को बहुत पसंद आया
तो
उसी पल् जब बच्चे पानी में गिरे
उन्होंने उन बच्चों को डॉल्फिन्स बनादिया
ताकि वो हमेशा हमेशा खेल सके ....