गुरुवार, 21 दिसंबर 2017

क्या कर्ण का जन्म कान से हुआ था ?

क्या कर्ण्ण का जन्म कुन्तीजी के कान से हुआ था इसलिए उनका नाम कर्ण रखागया या जन्म के समय कर्ण के कानों में सूर्य प्रदत्त कुण्डल था इसलिए उनका नाम कर्ण हुआ ....

कुछ लोग आम तौर पर कर्ण के नाम पर यह दोनों मत सुनाया करते है
लेकिन क्या यह बात सच है ?

चलिए जानते है इन बातों में कितनी सच्चाई है.....
पुराणों में
कर्ण्ण को कानीन् कहागया है
कान से जन्में इसलिए कानीन् नहीं 😀
दरसल कानीन् शब्द का अर्थ
है वह पुत्र जो अविवाहित माता के गर्भ से जन्में हो....
नियुक्ति=>कन्या+अपत्यार्थे.इन्=कानीन्

हमारे देशज कान शब्द का संस्कृत प्रतिशब्द
है कर्ण्ण...
इसका निरुक्ति=कर्ण्णि धातु(सुनना)+करण.अ
पर
हमारे महाभारत कथा में पात्र
कर्ण के नाम का नियुक्ति
उससे भिन्न है
कृ धातु(करना)+कर्तु.न=कर्ण(नाम)

कृ धातु का 25 से ज्यादा अर्थ है
पर यहां करने के अर्थ में प
प्रयुक्त हुआ है ....

उसी तरह संस्कृत विशेष्य शब्द
न का पांच अर्थों में से
रण व दान यहां ग्रहण योग्य लग रहा है ..

कुल मिलाकर
कृ धातु+कर्तु.न=कर्ण
इस निरुक्ति व्याख्या
यह है
कि जो दानकरे तथा रणप्रिय है
वो कर्ण है......

महाभारत के वनपर्व अंतर्गत कुंडलाहरन पर्व में कर्ण जन्म प्रसंग आता है
वहां कहीं भी नहीं लिखा गया है कि कर्ण का जन्म कान से हुआ था....

वहां  लिखा है ....

ततः कालेन सा गर्भे सुपुवे वरवर्णिनी ।
कनैव तस्य देवस्य प्रसादादमरप्रभम् ।।

(भावार्थ:-तदनन्तर सुन्दरी पृथाके गर्भ से यथा समय सूर्यदेव के कृपा से कन्या रहते हुए ही देवताओं के भांति एक तेजस्वी पुत्र के जन्म हुआ)

इन सब बातों से स्पष्ट होता है कि
राधा पुत्र राधैय का नाम
उनके दानी गुण व रण कौशल में पारंगत होने के बाद कर्ण पडा़ था......

कोई टिप्पणी नहीं:

एक टिप्पणी भेजें