मंगलवार, 19 जुलाई 2016

वह कौन लोग है

वह कौन लोग हे
रोज जग मे जो बम् फोड़ते है

वह कौन लोग हे
धर्म के नाम पर देश तोड़ते है

वह कौन लोग हे
बन्दुक के बल आतक फैलाते है

वह कौन लोग हे
नारी का अपमान रोज करते है

वह कौन लोग है
जिनके पूर्वजोँ ने लाखोँ मंदिर तोडे
और एक मसजीद के लिये
अब दिनरात सर फोड़ते है ।

वो कौन लोग है
मुफ्त का मिलता है
तब चट कर जाते
और सेना के जवानोँ पर पथ्थर मारते है (कश्मीरी ) ।

वह कौन लोग है
भारत मे जन्मे
लेकिन अरबीओँ कि खटते है
[अरबी Means -ISIS,BOKOHARAM,अलकाएदा]

गुरुवार, 14 जुलाई 2016

ईद और मेरी आपबीति

आज जिँदेगी मेँ पहली बार एक शान्तिप्रिय मुस्लिम भाई ने
मुझे ईद के मौके पै चौपाती मे सेँवैया दिया ...
अब मैनेँ उसे बाद मे खाउगाँ कहकै रख लिया
और जब वह अपने रुम मे लौट गया
मैँ चुपके से चौपाती को साथ लिए
नजदिक ही पड़ोशी
शम्भु अकबरी (पाटिदार) के यहाँ जा पहँचा
शम्भु को बिना बताए
उसके गाय को चुपके से सेँवैया खिलाने ही वाला था कि
शम्भु ने देख लिया
वो चिल्लाया
वे तु मुल्ला है क्या ?
मेरे गाय को अपने धर्म का बना लेगा ?
मैँ झल्लाया
नहीँ सेठ !
ये मुल्लोँ का सेँवैया कैसा खाऊँ
धर्म हानी होगी !
इसबार
शम्भु
और जोर से गुर्राया !!
तो क्या सहर भर मे कुत्ते बिल्ली कम हो गये थे
जो तुझे मेरी गाय को अशुद्ध करने कि युक्ति सुझी ??
मैनेँ विरक्ति भाव से कहा
यार गलती हो गयी
मैँ भुल गया था
तुम्हारी गाय का भी एक धर्म है !!!
व्यथित मन से मैँ उसके आँगन से निकल ही रहा था कि
आवारा कुत्ता मिल गया !
मैँने वैमन से उसकी ओर चौपाती दिखाते हुए कहा
क्युँ वे सेँवैया खाएगा ?
हाँ तेरा कैसा धर्म .... रोड़पति !!!
अब उसी मुस्लिम भाई के बड़के भैया
मुझे कुत्ते को सेँवैया खिलाते
देख के बहुते नाराज हुए
कहने लगे
का हो मर्दवा
हमार सेँवैया
कुत्ते कै काहे बाँटते फिर रहे है
न खाते मना कर देते
हम किसी ओर के दे देते
मंदी ओर तंगी के समय मे
ऐसा कांड ठिक ना है ।
ला हुल बिलाकुवत् ....
मैँने स्मितहास्य के साथ कहा
ओ इमदाद भैया अरे काहे गुस्सा रहे हो !
अरे मैँ तो इस कुत्ते को सेँवैया
खिलाके
भाईचारा फैला रहा हुँ
ससुरा पहिले मुझे देखते ही भोँकता था
अब देखना
मेरे ईशारोँ पर नाचने लगेगा
अब वेचारे इमदादभाई क्या
समझे
चुपचाप
निकल लिए...