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मंगलवार, 17 जून 2014
यादेँ
यादेँ भाग 1
बुधवार, 23 अप्रैल 2014
समयराग
वो घंट नैवेद्य कहाँ गये अब तो शंख के ध्वनी भी दुर्लभ हे.....
क्या गलति हुआ हमसे जो हमेँ भगवान छोड़गये....
.धर्म के नाम पर दंगे होते, हो रहा हे बलात्कार.....
गलि गलि मेँ देख झाँक कर, नारी सहती हे अत्याचार....
दुषित हुआ हे जल और वायु, दुषित हुआ हे सबका मन .....
भारतवर्ष मेँ कोई ज्ञान देखता लोग देखते हे केवल धन......
.धन के लिये मनमुटाव धन के लिये दुःख संताप.......
फिर भी इंसान दिनरात देखते रहते इसीके ख्वाब,,,,,,,
और क्या कहुँ यही सबसे हुँ परेशान जनाब......,
बुधवार, 29 जनवरी 2014
आज वो इंसान याद आया !
गुजरात का वो इंसान आज मुझे क्युँ याद आया ?
चलता था वो धीरे धीरे,
कहता था पक्की बात, न मिला हुँ मेँ उसे फिर मुझे क्युँ याद आया ?
कि थी जिसने शंखनाद किया था जिसने शुरवाद आज वो महात्मा याद आया !
एक किया था देश सारा जोश जगया था जवानोँ मेँ, मुझे वो बुजुर्ग याद आया !
आज करते हे वदनाम उसे , कहते वेईमान उसे , था वो कैसा पता नहीँ , वो महान आत्मा याद आया !
धर्म जात को न माननेवाला इंसानियात को बचानेवाला एक आम इंसान याद आया !
(30 JANUARY 2014)