शुक्रवार, 19 अगस्त 2016

खुन और जात

जब खुन खुन कि
बात चला
रे खुन बता
तु कौन जात है ?

कई जानवर काटे
अपने अंग काटे
तु न बदला
तेरा एक रंग

तब एक जाति
ये मानवजाति
क्युँ जात धर्म मे बँटगये ?



वो...

वो समझते है कमजोर मुझे
मेरी हिम्मत उन्होनेँ माँपी नहीँ
मैँ तीली सही जब जलता हुँ
जला सकता हुँ साथ गाँव कई

वो समझते है मजबुर मुझे
मेरी हैसियत उनके जैसा नहीँ
मैँ फकीर हुँ उन लकीरोँ का
जिसे मिटा न सके आए गए कई

उन्हे लगा मैँ बेवस लाचार हुँ
मेरे पास देने को कुछ नहीँ
प्यार बाँटे बहुत जगवालोँ मे
अमीर दिल से रहा हुँ मैँ धनी



वो सोचते है मैँ हार गया
उनके एक धमकी से ही डरगया
ये खुन है खंडायत याद रखना
मैँ मर सकता हुँ
कुत्तोँ से डरता नहीँ



गलत और सही

उसने दिखाया मुझे
आईने मे
मेरा ही शक्ल
युँ बौखलाया
जैसे वो मैँ नहीँ
कोई और ही था

वो कोई और ही था
उसे गलतफैमी हो गई
या मैँ ही गलत था
मुझसे गलती हो गई

मैँ कैसे कह दुँ
अपने ही मुँह से
कि मैँ गलत हुँ
मैँ भी ईश्वर कि
सृष्टि हुँ
मैँ गलत तब
वो भी गलत हुआ ।

कोई कैसे कह दे
गलत कौन सही ?
युँ भी कोई कह सके
ऐसा कोई हुआ नहीँ !
कोई हुआ नहीँ
सिबा उसके यहाँ
रब जिसका साथ देँ
बस वही है सही !






-दुसरे खेलोँ मे क्रिकेट हो न हो हर खेल क्रिकेट मे है -


सारे खेलोँ मे से भारतीयोँ को क्रिकेट ही क्युँ सबसे ज्यादा पसंद है ?

इसमेँ ऐसा क्या है ?
जो बाकी विदेशी खेलोँ मे नहीँ है ?
पिछले दिनोँ इन्ही प्रश्नोँ के साथ मेँ कुछ cricket Players and fans से मिला

चलिये जानते है
इसपर क्या था उनका राय ?

Acording to cricket fans
क्रिकेट के बराबर कोई खेल नहीँ
इसमेँ अकेले 6 या 7 खेल होते है
हम ये खेल खेल लेते है
तब बाकी खेलोँ कि जरुरत ही क्या है ?

एक धुँआधार बैट्समैन ने तो यहाँ तक कहदिया
ओसेन वोल्ट को बुलाओ वे
मैँ चौका लगाउँगा वो बॉल पकड़के दिखाए :-D :-D :-D

एक फास बॉलर कहता है

"तुम नहीँ समझोगे भैया
क्रिकेट मे युँ तो चैस भी है"

मैँने पुछा "वो कैसे ?"
कहने लगा
"अरे बकरे को हलाल करने के लिए
हम ऐसे जगहोँ पर खिलाड़ीओँ को व्यवस्थित करते है कि
वो गलती करेगा ही करेगा
जैसे तुम चालाकि से चैस मे मोहरोँ को मार गिराते हो
और मानो तो बॉलिगं नहीँ तो गाँव देहात मे हमारे फास बोलिंग को लोग थ्रोइगं ही तो कहते है ।"

क्या फैँक रहा है :-D :-D :-D

एक स्पिनर से राहा नहीँ गया
वो भी कुद पड़ा
"और और स्पिन के बारे मे क्या
कितना दिमाग लगता है
किसी प्लेयर को आउट करने मे बिलकुल वैसे ही जैसे कोनेवाले गड़्ढे मे तुम कैरम का गोटी डारते हो !!"

एक भूतपूर्व क्रिकेटर बुढ़ऊ ने भी कहा और इतना लम्बा कहा मुझे लगा वो लालकिले से स्पिच दे रहे है :-D :-D :-D

[[खैर उन्होने जो कहा था उसे काटछाँट के बता रहा हुँ]]

तो
बुढ़ऊ कहता है :-
"देखो बेटा
क्रिकेट मे जो है
लंग जम्प हाइ जंप से लैके फुटबॉल रॉग्बी हॉकी ओर पता नहीँ क्या क्या है ।
:-D :-D :-D

जब Catch पकड़ना हो
धोती खुले या अंदर से चड़्डी फटजाए :-D

क्याच पकड़ने वास्ते हम हर आथलेटिक् को पीछे छोड़ देते है ।

और रही बात हॉकि फुटबॉल रॉग्बी जैसे खेलोँ कि
बचुआ ! देख बाल पक गये है मेरे !!

क्या मैँ तुम्हे गधा लगता हुँ ?

ना बेटा ना
हम इत्ते मूरख नहीँ
कि
बॉल को पाँव से मारके
इत्ता मेहनत मसक्कत करेँ
हमारे पास बैट है बैट
एक मारते है सिधा बाउंडरी पार
इ ससुरे एक गोल करने के लिए
घंटो लगादेते है और अपना एक घंटे मे दसिओँ छक्के चौके

और ये जो एक बॉल के पिछे
20 लौँडे दौडते है ....

ह्ह्ह्ह्ह्ह्ह

तुम्हे क्या लगता है बेटा हमारे बच्चे
इतने गिरे हुए है ?
एक बॉल के पिछे
या एक कन्या के पिछे
सारे के सारे दौडेगेँ ?

याद है पिछले वार्ल्डकप मे क्या हुआ था !
उ अपने एक कन्या के पिछे क्या फुटबॉल समझके दौडे थे सारे खिलाड़ी कि
इंडिया हार गया था !
:-( :-( :-(

और जरा देखो तो

अपने देश गरीबोँ का देश है
अपने पास खाने कमाने से वक्त मिलजाए
तो हम शाहरुख सलमान रितिक को देखके टाइम स्प्रेंड करदेते

अब गोरी चमड़ी के पास बहुत पैसा है
वो 12 तरह का खेल खेलेगी ही अपने पास एक हुनर है
हम जुगाड़ु है
इसलिये हमने जुगाड़ लगाया है
सारे खेलोँ मे क्रिकेट हो न हो
हर खेल क्रिकेट मैँ है

So सारे खेलोँ मे वक्त ,धन ,वल खर्चने से अछा हम एक खेल खेलके
इत्ता तो बचत कर लेते है
कि मंगल मे मंगलयान
चंद्र मे चंद्रयान भेज सकेँ !!

मुझे ये सुनके बुढ़ऊ पर गुस्सा आ गया
खैर मैँ अपनी मन कि भावना
मन मेँ रखे
निराशा के साथ
बुढ़ऊ भूतपूर्व क्रिकेटर
से फिर फिर पुछ बैठा

अछा वो सब तो ठिक है सरजी !
यदि क्रिकेट मे इत्ते सारे गुण है
तो ये ओलंपिक वाले क्रिकेट को ओलंपिक मे क्युँ सामिल नहीँ करते ?
आखिर क्या कारण है इसका
इतना सुनना था
बुढ़ऊ सहसा अट्टहास्य करने लगा
ह्ह्ह्ह्ह्ह्ह्ह

"बेटा अभी तो हमने समझाया क्रिकेट अपने आप मे एक छुटकु ओलोम्पिँक है
अब एक बड़े ओलोंपिक मे
छोटा लेकिन शानदार ओलोम्पिँक कैसे रह सकता है ???
और
इतना सुनना था कि मैँ हँसते हँसते लौटा :-D :-D :-D

बुधवार, 17 अगस्त 2016

जब मुझे बिच्छु ने काटा....

बचपन मे पिताजी के साथ रोज राधामाधव मंदिर (मठ) मे जाया करता था ।
मेरे पिता साल भर ब्राह्मणी नदी तट स्थित शिव मंदिर मे #दुर्दुरा
पुष्प स्थानीय ब्राह्मण पूजारी जी के हातोँ भेजा करते थे ।

हालाँकि साल मे एक बार श्राबण पूर्णिमा को ही वे शिवजी के दर्शन के लिये स्थानीय शिव मंदिरमे जाते
तब मैँ भी उनके साथ हो लेता था ।

बचपन मे श्रीकृष्ण मेरे हिरो थे
मैँ उनकी कथा कहानी संघर्षगाथा सुनकर पढ़कर बड़ा हुआ !

खैर
ये उन दिनोँ कि बात है
मैँ पिताजी के साथ उठकर
पुष्पचयन हेतु 5 बजे भोर जगकर तैयार हो गया

पिताजी नित्यकर्म समापन बाद दुकान कि ओर चलेगए थे
और किसी कारणवश मैँ उनके साथ जा न सका
पिछे रह गया !

मैँ गाँव के रस्तोँ पर दौडता हुआ तेजी से जा रहा था !

अब ज्येष्ठमास मे गर्म वातावरण के वजह से
एक लाल बिच्छु भी अपने ज्ञातिमित्रोँ से भोर मे Good morning कहने को निकला
था

और क्या हुआ !
दौडते हुए मेरा पाँव उस पर पड़गया

डर ,क्रोध या विरक्तिभाव से उसने मेरे चरणोँ मेँ अपना डंक मार दी
मेनका गांधी कहेगी
नहीँ बिच्छु ने तुम्हारे चरण चुमे थे !!

मुझे बिच्छु ने काटा लेकिन
मैँ फिर भी दौडता रहा

और दौडते दौडते पिताजी के पास जा पहँचा
हमने साथ मे फुल तोड़ेँ मंदिर
भी गए
लौटते वक्त
मेरे पाँव लाल वर्ण तथा फुले हुए देखकै मेरी दादी चिल्लाई

तेरे पाँव !
वो इतनी ही कहपायी थी
कि मैने कहा
हाँ चिटी ने काट दिया था शायद
थोड़ा थोड़ा दर्द कर रहा है ।

सभी परिवार जनोँ ने गौर से देखा
और जानगये
ये किसी जहरीले जीव के द्वारा ही संभव है
भला चिटी काटने से ऐसा भी हो सकता है ?

फिर क्या था
जहाँ बिच्छु ने मुझे काटा था
वहाँ तलाशी अभियान चलाया गया !
और आखिरकार एक पत्थर के नीचे से दोषी धर दवोचा गया !

अदालत कि
जज कि तरह बिच्छु को
मृत्युदंड देने का फैसला हुआ
और आखिरी बार जब मैने उसे देखा
वह कढ़ाई मे तला जा रहा था !

उसके शव से मेरी दादी को दर्द का दवा बनाने थे ।

हाँलाकि मैँ फिर भी मंदिर जाता राहा
आखिर
किसी दूर्जन द्वारा वाधित होने पर
मैँ अपने लक्षस्थल से पिछे कैसे हट जाउँ ??


आज भारत आगे बढ़रहा है तरक्की के राह पर है
लेकिन कुछ बिच्छु इसके राहोँ मे उसको काटने को बैचेन हो रहे है
क्या भारत उनसे डर जाएगा

हाँ शायद नहीँ
भारत उनको उनकी औकात जल्द बता देगा



गुरुवार, 4 अगस्त 2016

आजके देशभक्त

अब ईश्क है सिर्फ बिवि से
और बच्चोँ से है लगाव

जात धर्म और ज्ञाती कुटुम्ब के झमेलोँ मे सब
माटी , माँ को भूल गये

अब सुख चैन है धन से ही
धन लाए
धन से खाए
धन उडाए
मौज मनाएँ
धन के लिए
धरती को भी भूल गये

अब सुख के पिछे दौड़ते है
नहीँ देश के लिए मरते है
दो दिन कि देशभक्ति से
देशप्रेमी वे बनगये