मुझे एक सपना तीन चार बार आ चुका है ।
मैं ट्रेन मे बैठकर कहीं जा रहा हुँ...
एक जंगली जगह पर गाडी धीरे धीरे चलते हुए रुक जाता है । गाडी बिलकुल खाली जा रही थी....
उस वोगी में मैं अकेला ही बैठा हुआ था...
मुझे ट्रेन मे हमेशा विंडो सिट् के पास बैठकर बाहर प्रकृति को निहारने मे अछा लगता हे ।
तो मैं विंडो सीट के पास बैठके खिडकी मे से बाहर देखे जा रहा था ....
कि एक सुन्दर कुत्ता मेरे सामने अपने पुंछ हिलाते हुए
मुझे प्यारी नजरों से देखे जा रहा था ....
क्षणभर के लिए
मुझे लगा
मानो वह कुत्ता मेरा पालतु हे
मुझे अपना मालिक समझता है ....
मेरे हाथ मे उस समय
घर से लाए हुए मिठाई था ....
स्नेहवश मैं वह मिठाई उस कुत्ते को देने के लिए जैसे ही गाडी से निकला वह कुत्ता मुझपर टुटपडा....
वो मेरा भ्रम था कि वह एक कुत्ता था ....
अगले ही पल मैं अपने सपने मे उस कुत्ते को वाघ होते देखता हुँ ....
और खुदको बचाने को गाडी मे चढजाता हुँ.....
.....
हम इसतरह के सपने तभी देखते है जब किसी असमंजस मे फंसे हुए होते है ...
इसमें कोई रहस्य नहीं ...कमसे कम मुझे तो ऐसा ही लगता है