सोमवार, 11 जनवरी 2016

.....सिधीबात....

बात पानी कि है
गर्म करो
या
ज्योँ का त्योँ रहने दो ...
वो तावा तेरा था
वो आग भी तुने लगायी
तब पानी कैसे गलत हुआ
अगर गर्म हुआ !!

बात जीत कि है
तु चाहे जीतना दुनिया को
वो खँजर तेरा था
खुन भी तुने ही कि
तब कानुन कैसे गलत हुआ
अगर जेल हुआ !


बात जीँने कि है
तु चाहता है सिर्फ तु जियेँ
वो नफरत फैलाया तेरा था
तेरे लोग मरे
तब कहता है
ऐसा भला क्युँ हुआ .....


रविवार, 10 जनवरी 2016

तु मेरी मानसपुत्री

खुरदुरे स्वर्श तेरे स्नेह के
तन मन कर ले भावमय
कविता तु मेरी मानस पुत्री

तेरी हत्या से
बनी जो शायरी
वो भी मेरी मानस पुत्री

दुनिया कि बाजार मे
बिकने के लिये
बनठनकर निकली जो गीत
हाँ वो भी मेरी मानस पुत्री

तु बदल ले जितना रुप
तेरी अछाई जो था वही रही
हाँ तु ही मेरी मानस पुत्री

शनिवार, 9 जनवरी 2016

दो बातेँ

तुम चाहते हो
शराब और शवाब के एवज मे लिख दुँ तेरे नाम
चंद लाइंने

ए दिल मुझे
कमजोर मत समझना
लिखता हुँ वहि
जो तु पढ़ न सके

तुझे तेरे लिये
तलाशना तरासना
आदत है मेरी
बदलजा वक्त से

कि न बदले जो साथ
समय के
बर्बाद हुए
मिट्टी मेँ मिलगये