शनिवार, 9 जनवरी 2016

दो बातेँ

तुम चाहते हो
शराब और शवाब के एवज मे लिख दुँ तेरे नाम
चंद लाइंने

ए दिल मुझे
कमजोर मत समझना
लिखता हुँ वहि
जो तु पढ़ न सके

तुझे तेरे लिये
तलाशना तरासना
आदत है मेरी
बदलजा वक्त से

कि न बदले जो साथ
समय के
बर्बाद हुए
मिट्टी मेँ मिलगये


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