तुम चाहते हो
शराब और शवाब के एवज मे लिख दुँ तेरे नाम
चंद लाइंने
ए दिल मुझे
कमजोर मत समझना
लिखता हुँ वहि
जो तु पढ़ न सके
तुझे तेरे लिये
तलाशना तरासना
आदत है मेरी
बदलजा वक्त से
कि न बदले जो साथ
समय के
बर्बाद हुए
मिट्टी मेँ मिलगये
कोई टिप्पणी नहीं:
एक टिप्पणी भेजें