मंगलवार, 22 दिसंबर 2015

इतिहास को किताबोँ मे ही दफ्न रहने दो

हिन्दोस्तानी इतिहास को किताबोँ मे ही कैद रखना पसंद करते है.....,,,

वो अतीत को आदर करते हे
सम्मान और प्रणाम भी करते हे
परंतु उससे सिखते विखते कुछ नहीँ........

आज मुझे वो हाइस्कुल के दिन याद आते है...

जब शाम तिन बजे इतिहास का पिरियड़ शुरु होता था

क्लासमे
तिन या चार छात्रोँ को छोड़ देँ तो बाकी के छात्र केवल स्कुल बैल कि घँटि कि प्रतीक्षा मे बैठे पायेजाते थे......

ज़ाहिर सी बात है भारतीय लोग इतिहास को #बकलोली ही समझते है....

नज़ाने किस नामुराद् ने इतिहास को पठन का विषय बनादिया....

इतिहास किताबोँ मे ही कैद अछा लगता है .....



कोई टिप्पणी नहीं:

एक टिप्पणी भेजें