वो घंट नैवेद्य कहाँ गये अब तो शंख के ध्वनी भी दुर्लभ हे.....
क्या गलति हुआ हमसे जो हमेँ भगवान छोड़गये....
.धर्म के नाम पर दंगे होते, हो रहा हे बलात्कार.....
गलि गलि मेँ देख झाँक कर, नारी सहती हे अत्याचार....
दुषित हुआ हे जल और वायु, दुषित हुआ हे सबका मन .....
भारतवर्ष मेँ कोई ज्ञान देखता लोग देखते हे केवल धन......
.धन के लिये मनमुटाव धन के लिये दुःख संताप.......
फिर भी इंसान दिनरात देखते रहते इसीके ख्वाब,,,,,,,
और क्या कहुँ यही सबसे हुँ परेशान जनाब......,