बुधवार, 17 अगस्त 2016

जब मुझे बिच्छु ने काटा....

बचपन मे पिताजी के साथ रोज राधामाधव मंदिर (मठ) मे जाया करता था ।
मेरे पिता साल भर ब्राह्मणी नदी तट स्थित शिव मंदिर मे #दुर्दुरा
पुष्प स्थानीय ब्राह्मण पूजारी जी के हातोँ भेजा करते थे ।

हालाँकि साल मे एक बार श्राबण पूर्णिमा को ही वे शिवजी के दर्शन के लिये स्थानीय शिव मंदिरमे जाते
तब मैँ भी उनके साथ हो लेता था ।

बचपन मे श्रीकृष्ण मेरे हिरो थे
मैँ उनकी कथा कहानी संघर्षगाथा सुनकर पढ़कर बड़ा हुआ !

खैर
ये उन दिनोँ कि बात है
मैँ पिताजी के साथ उठकर
पुष्पचयन हेतु 5 बजे भोर जगकर तैयार हो गया

पिताजी नित्यकर्म समापन बाद दुकान कि ओर चलेगए थे
और किसी कारणवश मैँ उनके साथ जा न सका
पिछे रह गया !

मैँ गाँव के रस्तोँ पर दौडता हुआ तेजी से जा रहा था !

अब ज्येष्ठमास मे गर्म वातावरण के वजह से
एक लाल बिच्छु भी अपने ज्ञातिमित्रोँ से भोर मे Good morning कहने को निकला
था

और क्या हुआ !
दौडते हुए मेरा पाँव उस पर पड़गया

डर ,क्रोध या विरक्तिभाव से उसने मेरे चरणोँ मेँ अपना डंक मार दी
मेनका गांधी कहेगी
नहीँ बिच्छु ने तुम्हारे चरण चुमे थे !!

मुझे बिच्छु ने काटा लेकिन
मैँ फिर भी दौडता रहा

और दौडते दौडते पिताजी के पास जा पहँचा
हमने साथ मे फुल तोड़ेँ मंदिर
भी गए
लौटते वक्त
मेरे पाँव लाल वर्ण तथा फुले हुए देखकै मेरी दादी चिल्लाई

तेरे पाँव !
वो इतनी ही कहपायी थी
कि मैने कहा
हाँ चिटी ने काट दिया था शायद
थोड़ा थोड़ा दर्द कर रहा है ।

सभी परिवार जनोँ ने गौर से देखा
और जानगये
ये किसी जहरीले जीव के द्वारा ही संभव है
भला चिटी काटने से ऐसा भी हो सकता है ?

फिर क्या था
जहाँ बिच्छु ने मुझे काटा था
वहाँ तलाशी अभियान चलाया गया !
और आखिरकार एक पत्थर के नीचे से दोषी धर दवोचा गया !

अदालत कि
जज कि तरह बिच्छु को
मृत्युदंड देने का फैसला हुआ
और आखिरी बार जब मैने उसे देखा
वह कढ़ाई मे तला जा रहा था !

उसके शव से मेरी दादी को दर्द का दवा बनाने थे ।

हाँलाकि मैँ फिर भी मंदिर जाता राहा
आखिर
किसी दूर्जन द्वारा वाधित होने पर
मैँ अपने लक्षस्थल से पिछे कैसे हट जाउँ ??


आज भारत आगे बढ़रहा है तरक्की के राह पर है
लेकिन कुछ बिच्छु इसके राहोँ मे उसको काटने को बैचेन हो रहे है
क्या भारत उनसे डर जाएगा

हाँ शायद नहीँ
भारत उनको उनकी औकात जल्द बता देगा



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