शुक्रवार, 19 अगस्त 2016

-दुसरे खेलोँ मे क्रिकेट हो न हो हर खेल क्रिकेट मे है -


सारे खेलोँ मे से भारतीयोँ को क्रिकेट ही क्युँ सबसे ज्यादा पसंद है ?

इसमेँ ऐसा क्या है ?
जो बाकी विदेशी खेलोँ मे नहीँ है ?
पिछले दिनोँ इन्ही प्रश्नोँ के साथ मेँ कुछ cricket Players and fans से मिला

चलिये जानते है
इसपर क्या था उनका राय ?

Acording to cricket fans
क्रिकेट के बराबर कोई खेल नहीँ
इसमेँ अकेले 6 या 7 खेल होते है
हम ये खेल खेल लेते है
तब बाकी खेलोँ कि जरुरत ही क्या है ?

एक धुँआधार बैट्समैन ने तो यहाँ तक कहदिया
ओसेन वोल्ट को बुलाओ वे
मैँ चौका लगाउँगा वो बॉल पकड़के दिखाए :-D :-D :-D

एक फास बॉलर कहता है

"तुम नहीँ समझोगे भैया
क्रिकेट मे युँ तो चैस भी है"

मैँने पुछा "वो कैसे ?"
कहने लगा
"अरे बकरे को हलाल करने के लिए
हम ऐसे जगहोँ पर खिलाड़ीओँ को व्यवस्थित करते है कि
वो गलती करेगा ही करेगा
जैसे तुम चालाकि से चैस मे मोहरोँ को मार गिराते हो
और मानो तो बॉलिगं नहीँ तो गाँव देहात मे हमारे फास बोलिंग को लोग थ्रोइगं ही तो कहते है ।"

क्या फैँक रहा है :-D :-D :-D

एक स्पिनर से राहा नहीँ गया
वो भी कुद पड़ा
"और और स्पिन के बारे मे क्या
कितना दिमाग लगता है
किसी प्लेयर को आउट करने मे बिलकुल वैसे ही जैसे कोनेवाले गड़्ढे मे तुम कैरम का गोटी डारते हो !!"

एक भूतपूर्व क्रिकेटर बुढ़ऊ ने भी कहा और इतना लम्बा कहा मुझे लगा वो लालकिले से स्पिच दे रहे है :-D :-D :-D

[[खैर उन्होने जो कहा था उसे काटछाँट के बता रहा हुँ]]

तो
बुढ़ऊ कहता है :-
"देखो बेटा
क्रिकेट मे जो है
लंग जम्प हाइ जंप से लैके फुटबॉल रॉग्बी हॉकी ओर पता नहीँ क्या क्या है ।
:-D :-D :-D

जब Catch पकड़ना हो
धोती खुले या अंदर से चड़्डी फटजाए :-D

क्याच पकड़ने वास्ते हम हर आथलेटिक् को पीछे छोड़ देते है ।

और रही बात हॉकि फुटबॉल रॉग्बी जैसे खेलोँ कि
बचुआ ! देख बाल पक गये है मेरे !!

क्या मैँ तुम्हे गधा लगता हुँ ?

ना बेटा ना
हम इत्ते मूरख नहीँ
कि
बॉल को पाँव से मारके
इत्ता मेहनत मसक्कत करेँ
हमारे पास बैट है बैट
एक मारते है सिधा बाउंडरी पार
इ ससुरे एक गोल करने के लिए
घंटो लगादेते है और अपना एक घंटे मे दसिओँ छक्के चौके

और ये जो एक बॉल के पिछे
20 लौँडे दौडते है ....

ह्ह्ह्ह्ह्ह्ह

तुम्हे क्या लगता है बेटा हमारे बच्चे
इतने गिरे हुए है ?
एक बॉल के पिछे
या एक कन्या के पिछे
सारे के सारे दौडेगेँ ?

याद है पिछले वार्ल्डकप मे क्या हुआ था !
उ अपने एक कन्या के पिछे क्या फुटबॉल समझके दौडे थे सारे खिलाड़ी कि
इंडिया हार गया था !
:-( :-( :-(

और जरा देखो तो

अपने देश गरीबोँ का देश है
अपने पास खाने कमाने से वक्त मिलजाए
तो हम शाहरुख सलमान रितिक को देखके टाइम स्प्रेंड करदेते

अब गोरी चमड़ी के पास बहुत पैसा है
वो 12 तरह का खेल खेलेगी ही अपने पास एक हुनर है
हम जुगाड़ु है
इसलिये हमने जुगाड़ लगाया है
सारे खेलोँ मे क्रिकेट हो न हो
हर खेल क्रिकेट मैँ है

So सारे खेलोँ मे वक्त ,धन ,वल खर्चने से अछा हम एक खेल खेलके
इत्ता तो बचत कर लेते है
कि मंगल मे मंगलयान
चंद्र मे चंद्रयान भेज सकेँ !!

मुझे ये सुनके बुढ़ऊ पर गुस्सा आ गया
खैर मैँ अपनी मन कि भावना
मन मेँ रखे
निराशा के साथ
बुढ़ऊ भूतपूर्व क्रिकेटर
से फिर फिर पुछ बैठा

अछा वो सब तो ठिक है सरजी !
यदि क्रिकेट मे इत्ते सारे गुण है
तो ये ओलंपिक वाले क्रिकेट को ओलंपिक मे क्युँ सामिल नहीँ करते ?
आखिर क्या कारण है इसका
इतना सुनना था
बुढ़ऊ सहसा अट्टहास्य करने लगा
ह्ह्ह्ह्ह्ह्ह्ह

"बेटा अभी तो हमने समझाया क्रिकेट अपने आप मे एक छुटकु ओलोम्पिँक है
अब एक बड़े ओलोंपिक मे
छोटा लेकिन शानदार ओलोम्पिँक कैसे रह सकता है ???
और
इतना सुनना था कि मैँ हँसते हँसते लौटा :-D :-D :-D

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