उसने दिखाया मुझे
आईने मे
मेरा ही शक्ल
युँ बौखलाया
जैसे वो मैँ नहीँ
कोई और ही था
वो कोई और ही था
उसे गलतफैमी हो गई
या मैँ ही गलत था
मुझसे गलती हो गई
मैँ कैसे कह दुँ
अपने ही मुँह से
कि मैँ गलत हुँ
मैँ भी ईश्वर कि
सृष्टि हुँ
मैँ गलत तब
वो भी गलत हुआ ।
कोई कैसे कह दे
गलत कौन सही ?
युँ भी कोई कह सके
ऐसा कोई हुआ नहीँ !
कोई हुआ नहीँ
सिबा उसके यहाँ
रब जिसका साथ देँ
बस वही है सही !
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