शुक्रवार, 19 अगस्त 2016

गलत और सही

उसने दिखाया मुझे
आईने मे
मेरा ही शक्ल
युँ बौखलाया
जैसे वो मैँ नहीँ
कोई और ही था

वो कोई और ही था
उसे गलतफैमी हो गई
या मैँ ही गलत था
मुझसे गलती हो गई

मैँ कैसे कह दुँ
अपने ही मुँह से
कि मैँ गलत हुँ
मैँ भी ईश्वर कि
सृष्टि हुँ
मैँ गलत तब
वो भी गलत हुआ ।

कोई कैसे कह दे
गलत कौन सही ?
युँ भी कोई कह सके
ऐसा कोई हुआ नहीँ !
कोई हुआ नहीँ
सिबा उसके यहाँ
रब जिसका साथ देँ
बस वही है सही !






कोई टिप्पणी नहीं:

एक टिप्पणी भेजें