रविवार, 15 अप्रैल 2018

नग-नगर-नागरिक

नागरिक शब्द बना
नगर+इक=नागरिक
नगर शब्द का निरुक्ति
=>नग+(है अर्थ में)र
नग शब्द का निरुक्ति =न+गम् धातु+कर्त्तु.अ=नग
नः ग....
यानी जो गति नहीं करता वह नग है ।
नग शब्द के कई संस्कृतगत अर्थ है
जैसे कि .....
१.वृक्ष
२.पर्वत
३.सात संख्या
४.सर्प
५.सूर्य

अब ज़रा आते हैं नगर पर
आज विश्व में अधिकांश नगरों में
वृक्ष कहाँ है....?
वृक्ष तो गांव में हीं बचगये है.....

पर्वत तो सहरों में होते है
परंतु सभी सहरों में पर्वत होते हो जरूरी तो नहीं है.... हां आधुनिक मानव पर्वत से भी उँचे महल बनवा रहा है सहरों में.....
पर्वत होते भी है तो उन्हें पूछता कौन है यहां.....?

सर्प और सहर तो एक दूसरे के शत्रु कहे जा सकते है । पैर न होनेवाला ये सरिसृप बेचारा सहर में कहीं मानवों के दिखगया तो
उसकी खैर नहीं हां परंतु सहरों में सर्पिल मनुष्य बहुतरे मिलजाते है ओर वह सर्पों से कई गुना ज्यादे ख़तरनाक़ होते हैं । असली सर्प तो बस गांव में बचगये है एक-आद सहरों में होगें तो डरे सहमें रहते होगें.....

ओर
अन्ततः सूर्य.....
खैर सूर्य हर कहीं होता है चाहें गांव हो या सहर हो,मरुस्थल हो या हिमालय के चोटी में हर कहीं सूरज मिलजाता है....
परंतु सहरों में उंचे उंचे मकानों नें सूरज को भी छिपादेने का अद्भुत कार्य किया है । सहरों में सूरज,चांद ओर तारों को न देखेजाने का परंपरा रहा है । सहरों में इसलिए लोग मानवों में
सूर्य चंद्र सितारों को अन्वेषण करते है ।

इसलिए आजकल कोई city के लिए भारतीय शब्द ‛नगर’ नहीं कहता
लोग अब वैदेशिक शब्द ‛सहर’ कहने लगे है.....

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