सोमवार, 20 अप्रैल 2015

प्यार नेँ लिया अनजाने मेँ एक और लड़की का जान

आज से करिबन 20 साल पहले गाँव की एक लव स्टोरी नेँ मेरी प्रतिमा दिदी(बड़े पिताजी की लड़की) की जान ली थीँ ।
20 साल पहले मेँ 4 या 5 वर्ष का हुआ था इसलिये मुझे उनकी शक्ल और सुरत याद नहीँ पर मुझे याद है उनकी आत्महत्या के पश्चात मैनेँ माँ से पुछा था की दीदी कहाँ गई तो उसने जवाब दिया था आसमान मेँ ।
आखिरकार ऐसा क्या हो गया कि दीदी को जहर पीना पड़ा था ?
90 दशक कि शुरुवात मेँ
‪#‎ KANTIO‬गाँव का एक लौँडे को अपने ही गाँव की सुंदर कन्या से वेईंतहाँ प्यार हो गया था ।
आज की तरह तब समाज इतना ढ़िलढ़ालवाला न था ,विवाह योग्य लड़कीओँ पर शख्त पावंधीयाँ हुआ करती थी । लड़का था तो दिवाना सो उसने एक दिन ठान लिया की मेँ आज उससे मिलकर रहुँगा चाहेँ कुछ भी हो जाय । हिम्मत करके वह लौँडा कन्या को मिलने उसके घर छुपते छुपाते पहँचगया ,दोनोँ "ये मोह मोह के धागे" गा रहे थे की लड़की के पिता नेँ सारा काँड देखलिया । कन्या पिता नेँ घरका दरवाजा बंद करदिया और गाँव मेँ उनके रिस्तेदारोँ को बुलाने चलेगये । कुछ क्षणोँ मेँ उनके दोस्त रिस्तेदार लौँडे के मातापिता सहित वहाँ पहँचे और रातोरात उन दोनोँ कि शादी मंदिर मेँ कर दिया गया ।
अब इस घटना से प्रेरित हो उस लौँडे का एक भाई रात को हमारे बाड़ी मेँ छुपा था
उस रात को रोज कि तरह मेरी दीदी अपने गाँव स्थित मामा के घर मेँ अकेली शोनेँ के लिये गई हुई थी ।
किसी कारण उस दिन रात को हमारे पिताजी बाड़ी कि और गये थे और उन्होने उस लौँडे को देखलिया
उन्होने हुलिया बताया तो लोँडे के परिवारवाले हमारे पिताजी को मारने के लिये दौडपड़े । आग इधर भी था उधर भी ,कहीँ गाँव न जलजाय इस डर से गाँववालोँ नेँ
जैसे तैसे करके सबको शान्त किया ।
सुबह हुआ
मामा के घर से लौटने पर मेरी दीदी को बड़े पिताजी नेँ इस बात का जिक्र करते हुए कुछ कहदिया ।
मेरी दीदी को यह बात खलगई और उसने छुपकर जहर पी लिया और उसकी मौत हो गई थीँ ।
च्युँकि उसने खुद अपनी जान ली थी हम उसे दोशी कह सकते है परंतु कोई व्यक्ति मजबुर होकर ही आत्महत्या करता है इसलिये उसको मजबुर करनेवाला समाज उसमेँ रहनेवाले स्वार्थी लोग ,वो लौँडा भी जिम्मेदार होगेँ ।

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