गुरुवार, 26 नवंबर 2015

शैफाली तु हारकर भी जीत गयी.....

शर्दिओँवाले शाम है ,फुरसत के पलोँ को अकेले बिता रहे है या कोई खुबसुरत यार आपके साथ हो....
ऐसे ही रोमाँटिक क्षणोँ को और रोमाँटिक बनादेता है
‪शैफाली‬[प्राजक्ता] फुलोँ कि खुशबु .....
इसकी सुगंध से एकाएक
मन कि सारी थकान और नैराश्यवाद मिटजाता है
अंग्रेजलोग हालाँकि इसे दुःख का फुल कहते है और रात कि रानी भी....
शेफाली फुल पर पश्चिमी सभ्यता मे एक फैरी टैल फैमस हुआ है !
'किसी देश कि राजकुमार के इंतेजार मेँ एक सुंदर राजकुमारी का फुल बनजाना और ये इंतेजार कभी न खत्म होना ....
दर'सल ये कथा ‪ विष्णुपुराण‬से लिया गया है या प्रेरित मानाजाता है ।
विष्णुपुराण मेँ शेफाली फुल कि कथा आता है जो इस प्रकार है :-
===>
एक सुंदरी राजकन्या सूर्यदेव से प्रेम करने लगी
जब प्यार परवान चढ़ने लगा उससे रहा न गया ! उसने सूर्यदेव का आवाहन किया
भगवन आये और उसे साथ ले गये परंतु जैसे जैसे राजकन्या सूर्यदेव के साथ दिन बिताने लगी वो शुखने लगी ।
सूर्यदेव ने राज्यकन्या को धरती पर छोड़दिया और अपने प्रियतम के बिछड़न् के वजह से राजकन्या तड़प तड़प कर मरगयी ।
राजकुमारी की मृत देह का दाह संस्कार के बाद उसके देहाभस्म से एक ‪ लतिका ‬का जन्म हुआ । वो यही ‪ शैफाली_फुल_का_प ैधा‬था !
आज भी वो अपने प्रियतम के लिये रातभर सजती सवरती परंतु सुरज कि किरणोँ से उसके सुंदर फुल झड़जाते ।
=Extra shot=
शैफाली फुल पर
ओड़िआ कवियत्री ,स्वतंत्रता सेनानी ,
‪कुन्तलाकुमारी_स ावत‬ने "शैफाली" नामसे एक कविता लिखा था ....
इस कविता मेँ
सिर्फ 35 वर्षोँतक जीवित रही इस नारीनेत्री ने अपने जीवन को शैफाली फुल कि तरह बताया है ....और खुदको तथा अपने जैसे हजारोँ को ढ़ाड़स बाँधने के लिये कहा है
'शैफाली'
तु रोज रात को सजती सवरती है ,
ये जानते हुए कि रात के बितते ही तेरा ये रुप रंग सब मिट जाएगा
तेरी ये कोशिश अमर रहे
तु हार कर भी जीत गयी
और वक्त जीत के भी हार गया

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