गुरुवार, 1 सितंबर 2016

न उलझों भारत हमसे

मारदिए जाते
कहीँ गर्भ मे कन्या
उस देश के लोग आते है
मेरे माटि के कन्या को
बहू बना
वो अपने देश ले जाते है

जहाँ
वहा था खुन नदी बनकर
लोग हँसते हँसते बलि चढ़गये
न रखा
#भारत तुझसे वैर
हम वो अपमान भी भूला दिए

ये मिट्टी वो मिट्टी है प्यारे
जहाँ जातपात का भेद नहीँ
हम जिँईते है एक झंडे तले
यहाँ दलित सवर्णोँ मेँ रंज नहीँ

कोई CM नहीँ न राजा कोई
यहाँ एक जगन्नाथ ही राजा है
न उलझो हमसे तुम #भारत
हमेँ लढ़ना आता है
हम भूले नही

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