#गंगा धोति थी केश जिसकी
#कृष्णा चरण तल
#श्मशान आज गरीबोँ का देश
यही वो #उत्कल
#लढ़ते थे कभी
#आतताय़ीओँ से
#धन देखकै
जलनेवालोँसे
आज #प्रकृति ही वैरी बनी है
कभी #जलमय मारे
कभी बिन जल
ये कितने #युग कि बात होगी
जऱा याद करना तुम याद करना
#हिमाचल के निचे
खड़े थे ये #जातिवीर
उठाए अपने #माथा
तुम भूला दिए हो वो #गाथा
#कलवर्ग #निजाम बना था
जब #हिन्दु द्वेषी
#गजपति वीर
#कपिलेन्द्र देव
हराए ,चढ़ाए उसको #फाँसी
दुर्वार गड़ #देवर_कोण्डा
गाए आज वही गाथा
#बारबाटी बीर दिए थे वहाँ
अपना उन्नत माथा
#याद कर याद करले तु आज
#शतगड़ कि #पवित्र_भूमि को
#अजेय_बंग सैन्य बाहिनी
गिर गये यहाँ
लौटे न अपने #वतन को
विजयी
#विजयनगर मागाँ था
उत्कलके चरणोँ मे जब शरण
बाहामनी पति
यवन राजा
जा छिपा अपने ही घरमे तक्षण
लढ़ा था वीर सुरेन्द्र साए
लढ़े थे चक्राविशोइ
जयीराजगुरु बक्सी कि
धरती आज श्रीहीन
पड़ा है
तब याद न करता कोई
यहीँ जन्मे थे
सुभाष
यह थी श्रीचैतन्य कि कर्मभूमि
श्रीकृष्ण यहाँ जगन्नाथ हुए
ये वही बौध जैनोँ कि भूमि
ब्य़ापारी थे हम
ब्य़ापार करते थे
जाभा बोर्णिओ
चीन जापान से
ये इतिहास भी अब
कोइ नहीँ पढ़ाता
इस देश के शिक्षानुष्ठानोँ मे
गौड़ भुवन हुआ था पदानत
मगध का सूर्य किए थे लीन
न रखना कभी गलतफैमी
इस धरती के पुत्र
न थे न हे कभी किसी से हीन
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