सोमवार, 19 सितंबर 2016

नये भुत पुराने भुत

रामहरी दास कुमारपुर गाँव का एक महनती किसान हुआ करता था ।

गर्मीओँ मे एक दिन वो अपने बेटे के साथ
सहर गया हुआ था
लौटते समय उसे
बड़े बड़े लाल आम ठेले पर दिखगये !

उसने 2 किलो आम खरीदा
ओर वाप बेटे घर कि ओर चल पड़े !

आज के तरह उन दिनोँ इतना गाड़ी मोटर तो था नहीँ

चलते चलते बाप बैटे थक हार कर
एक कुँए के पास आकै बैठ गये

थकान मिटाते हुए
वह
बृद्ध कृषक अपने बेटे को कहने
लगा

बेटा मैँ बृद्ध हो चुका हुँ
मुझसे 2गौ (आम) हजम न होगेँ
वरन तु 2 (आम) खा लै
मेरा एक से हो जाएगा

उस कुएँ के अंदर 3 भुत रहते थे

उन्होने पितापुत्र को 3 को खाने कि बातेँ सुनी
उन्हे लगा
ये पितापुत्र निश्चित ही कोई तान्त्रिक है
वो तिनोँ डर के मारे काँपने लगे

अब इससे पहले कि किशान रामहरि कुछ ओर कहपाता
वे कूपवासी तिनोँ भूत
उसके चरणोँ मे गिरकै
दया कि भिक माँगने लगे ।

किशान चालाक तो था ही
वो माज़रा क्या है
तुंरत समझते हुए भुतोँ से बोला

सुनो वे
रोज एक आद भुत न खाएँ
तो हमारे एडीओँ मे दर्द होने लगता है

फिर भी तुम इतना जोऱ दे रहे हो तो ठिक है

मेरे खेतोँ मे तुम्हेँ काम करना होगा
तभी तुम छोड़े जाओगे !

भुत वेचारे क्या करते
मजबुर थे
किशान के मजदूर बनने को राज़ी हो गये ।

ऐसे मेँ कुछ दिन बित गया ।

अब ये तिनोँ भुतोँ के कुछ मित्र भुत हुआ करते थे
जो कि रोज़ रातको
इनसे मिलने आते थे
गप्पे सप्पे होता था
ओर रात बितजाता था

उन नये भुतोँ ने इन तिनो भुतोँ को ढ़ुँडना शुरुकरदिया ।

एक दिन आखिरकार
नये भुतोँ को किशान के खेतोँ मे वे तिनोँ भुत गधा मजदूरी करते
दिख ही गये ।

एक नया भुत पुराने तिनोँ कूपवासी भुतोँ को भड़काने लगा !

क्युँ वे तुम तिनो बड़े बड़े डिँगे हाँकते थे
ओर अब क्या कर रहे हो ?

साला भुतोँ का काम होता है लोगोँ को डराना
और तुम ससुरे पिद्दी बनकै
मुफ्त मे खटरहे हो वे

तब
एक कूपवासी भूत ने
नये भुत कि बात काटते हुए बोला

धीरे बोल वे
अगर किशान जानगया
सालोँ तुम तो मरोगे
ही साथ मे हम भी
उसके निवाला बनेगेँ

ये सुनके नये भुतोँ कि टोली
ठहाके लगाके हँसने
लगे
ओर एक नया भुत हँसते हुए
बोला

ओ अच्छा
तो ये देख मेँ अदृश्य हुआ
देखता हुँ
किशान मेरा क्या कर लेगा ।

किसी कारणवशः कुछ घँटो बाद
किशान अपने बेटे के साथ खेत मे आता है ।

पितापुत्र
खेत से लगे
जामुन के पेड़ के नीचे
जिसके उपर सारे भुत
अदृश्य हो बैठे हुए थे
आकै खड़े होकर
आपसमे बातेँ करने लगे ।

अब
2 दिन पूर्व
किसान ने 2 नये बैल खरिदा था ।
सो उसने अपने बेटे से कहा
सुनो वो पुराने है
उन्हे एक दिन रेस्ट देते है
ये नये है
इनसे एक दिन काम करके
देखते है

अब जामुन के पेड़ मे अदृश्य हो बैठे नये भुत
डर कर किशान के चरणोँ मे आ गिरे

किसान समझगया

ओर बोला
जाओ माफ किया
तुमको

काम पर लगो वे
हारामखोरोँ

:-D :-D :-D :-D

( 25 साल पहले चंदामामा मे प्रकाशित
कहानी सामान्य बदलाव के साथ )

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