जैसे अखलाक
बली चढ़ा धर्म के नाम
देश से बड़ा हो गया था
दीना माँझी लाश उठाए
अपने माटि समाज से
महान हो गये
कल तक
बाढ़ अकाल चक्रवात
ओर
तुम्हारे द्वेष घृणा से लढ़नेवाले
मेँ ,
मेरे Odia भाई बहन 4 करोड़
संवेदनहीन हो गये
दीना कि
एक बिवी क्या मरी
ये माहौल नफरतनुमा हो गया
मैँ बना
उनके नजरोँ मे
अब अलगाववादी
कलतक देशप्रेमी
अब देशद्रोही हो गया
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