गुरुवार, 14 अप्रैल 2016

नौकर

दुनिया मेँ केवल कृषक हीँ ऐसे है जो स्वतंत्र होकर जीवन निर्वाह करते हे
अर्थात् वे किसी के नौकर नहीँ है न नौकरी करते हे ।

लोग प्रायः नौकरी शब्द का आक्षरीक अर्थ भूलजाते है

हमारे गाँव के एक सज्जन आज मुझपर वार करते हुए बोल पड़े

"तुम केवल पढ़े लिखे हो परंतु नौकरी तो नहीँ की न ! अब पताचला  तुम्हारा हैसियत क्या है ?"

वो जानते थे हमेँ बातोमेँ उलझाना मतलब
अपनी हार को नौता देना जैसी बात होगी

हमनेँ हँसते हुए कहा

"कुछ विज्ञ जन नौकरी शब्द का शाब्दिक अर्थ को भूल गये हे शायद

😀😀😀😀

अरे भाई नौकर + ई मिलकर जब नौकरी शब्द हुई है

इसमेँ भला क्या गौरब की बात है ?"

हम गुलामी को पसंद करनेवाले मानव अपने नौकरी के सपक्ष मेँ अकसर लम्बी लम्बी हाँकते है ।

कुछ भक्त तो खुद को भगवनजी के चाकर या नौकर बताचुके है ।

सच ही तो है

कई गुलामीओँ के जंजिरोँ मेँ जकड़ा हुआ जीव भी धरतीपर ईश्वर के नौकर हीँ तो है ।

वो यहाँ जीवनभर भगवनजी के लिये नौकरी करने के पश्चात

अपने कर्म अनुसार कर्म फल ले कर निकल लेता है

नयी नौकरी के तलाश मेँ ।

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