देख लेँ आँख खोलकर
दिल ए दुशमन मेरे ।
नफरत का ये आलाम
जाहाँ मेँ आम बना है ।
छाया है मौत का सामान
दिल और हवा मेँ
जबतब तुझसे
नफरत का पैगाम मिला है
वो तु ही था न जमानेँ से
मुझ पर वार करनेवाला ।
हमनेँ तो अभी अभी
अपना आँख भर खोला है ।
शान्तिदूत बनकर
न सुना अब
तु नयी कहानी ।
ये पाक बंगालादेश सब बताते
तेरी निशानी ।
तुनेँ ही तोड़ा था हिँदोस्थान
बनकर वैगाना ।
और हम ही भरते रहे
वक्त को हरजाना ।
आया है वक्त जान लो
बदलेगेँ अब जमाना ।
न चलनेदेगेँ देश मेँ
देशद्रोहीओँ का घराना ।
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