गुरुवार, 14 अप्रैल 2016

ए दिल ऐ दुशमन मेरे

देख लेँ आँख खोलकर
दिल ए दुशमन मेरे ।

नफरत का ये आलाम
जाहाँ मेँ आम बना है ।

छाया है मौत का सामान
दिल और हवा मेँ

जबतब तुझसे
नफरत का पैगाम मिला है

वो तु ही था न जमानेँ से
मुझ पर वार करनेवाला ।

हमनेँ तो अभी अभी
अपना आँख भर खोला है ।

शान्तिदूत बनकर
न सुना अब
तु नयी कहानी ।

ये पाक बंगालादेश सब बताते
तेरी निशानी ।

तुनेँ ही तोड़ा था हिँदोस्थान
बनकर वैगाना ।

और हम ही भरते रहे
वक्त को हरजाना ।

आया है वक्त जान लो
बदलेगेँ अब जमाना ।

न चलनेदेगेँ देश मेँ
देशद्रोहीओँ का घराना ।

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