लेबल
- अनुवाद (3)
- कविता (47)
- काहानी (8)
- जीवन अनुभव (38)
- तर्क वितर्क (4)
- दिल से (16)
- पदचिन्ह (7)
- व्यंग्य (8)
- शब्द परिचय (7)
- हास्य कविता (1)
गुरुवार, 15 अगस्त 2013
ये इंडिया है
एक दिन मेँ लोग इतने वोलते है बाकी के दिनोँ मेँ सोते है ये इंडिया है यहाँ लुटा हुआ हीँ रोता नजर आता है...... । एक दिन मेँ देशभक्त.... अमन चैन की वातेँ करके अगले दिन मरने मारने के वादे करते नजर आते है...... । एक दिन का भाईचारा अगले दिन वेचारा बना फिरता है, ये इंडिया है यहाँ हर शाख पर गद्दार वैठा रहता है......! एक दिन का जय जयकार दुसरे दिन गाली बन जाता है,यहाँ क्रिकेट का भगवान भी 0 मेँ आउट हुआ तो गाली उसे भी मिलता है....!
सदस्यता लें
टिप्पणियाँ भेजें (Atom)
कोई टिप्पणी नहीं:
एक टिप्पणी भेजें