बुधवार, 23 मार्च 2016

कन्हैया कुमार को मेरी खुली चुनौति

कन्हैया तुम किस् खेत कि मूली हो वे ?

युँ तो हमारे भी दिल मे भरे है कईओँ के लिए नफरते
लेकिन क्या हमने किसी कमजोर क्षण मे भी
पाकिस्तान जिँदावाद
भारत मूर्दावाद के नारे दिए ?
नहीँ....

शायद हम तुम्हारे तरह
देशद्रोही नहीँ....
तुम सारे विश्व का जयजयकार करना चाहते है
अछि बात है
लेकिन क्या तुमने अपने पूर्खोँ का इतिहास पढ़रखा है ?

शायद तुमने अनुभव नहीँ किए होगोँ
विदेशीओँ का हमारे पूर्वजोँ पर किएगये उन अनगिनत अत्याचारोँ का

च्युँकि शायद तुम्हे अपने देश से ही प्रेम नहीँ !
शायद तुम्हारे पूर्वज भी गद्दार ही थे
और उनकी गद्दारी कि
कहीँ कोई अन्तिम निशानी तुममे उभर आई है ।

तुम युँ पाकिस्तान जिँदावाद का नारा बुलन्द करते हुए क्या साबित करना चाहते हो

जिस नादान ,पैदल नापाकिस्थान कि तुम पैरवी कर रहो
उसने भारत को इन 70 सालोँ मे जो जख्म दिए है
क्या तुम्हे वो नहीँ दिखे
या जानकर भी अनजान बने फिरते हो ।

और अन्ततः तुम्हे आजादी चाहिए

एक आजाद देश मे उसी देशको गरियाकर तुम अभी भी जिँदा हो
इसे तुम अपनी आजादी ही समझो
च्युँकि जिसदिन हम खुदको खुदसे आजाद कर देगेँ
न तुम रहोगे
कोमरेड़ ना तुम्हारे आका

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