सोमवार, 1 फ़रवरी 2016

कहना नहीं चाहता

कहना नहीँ चाहता
ए दिल
इस क्षण मे
क्या मेँ हुँ सोचता
मेरे कहने से
गर तुम बदल जाती हर क्षणमे
कुछ नया कहता

कहना नहीँ चाहता
ये कड़वी सच भी
कि तुम्हे वो काँटे बन चुभता है
पर क्या करें
विवश है
हमेँ युँ बनावटी बातेँ बनाना नहीँ आता

कहने को कह सकता हुँ
तुम सुंदर हो जैसे हुरपरी
परंतु
भारती को भावना कैसे कहुँ
हमें समझ नहीँ आता ....

वि:द्र :-भारती यानी वो मोटी भारती कॉमेड़ियन और भावना को तो जानते ही होगेँ साउथ इंडियन सुंदरी 😂😂😂😂😂

कोई टिप्पणी नहीं:

एक टिप्पणी भेजें