गुरुवार, 11 फ़रवरी 2016

रिस्तेदारी

दरभंगा [विहार] जिल्ला के रहनेवाले एक भाई
जौनपुरीए लौँडे से लढ़ झगड़ रहे थे

माज़रा क्या है
पता किए तो पताचला
चप्पल फेँकाफेँकी से ही
बात का बतगंड़ बनगया....

अब मुझमे एक भयानक दोष
यह है
कि मे कहीँ झगड़ा देखता हुँ
तो उन्हे शान्त करने कि कोशिश करता हुँ
यहाँ भी मैँ सोचने लगा .....

और

तब मेरे मनमे एक आइडिया आया....

अब मैँ
दरभंगावाले मैथिलीभाषी भाई को देखकर कहने लगा
देखो ये ठिक नहीँ है

तुम भला अपने ही रिस्तेदार से कैसे लढ़ सकते हो ???

मैथिलीभाषी विहारी भाई हैरान....

ये भला मेरा रिस्तेदार कैसे हुआ ?

कहाँ इसका गाँव उत्तरप्रदेश मे
और मैँ विहार का....

उधर जौनपुरवाले भैया आँख लाल लाल किए
मुझे गुस्साए देख रहे थे

मैँ शान्त भाव से अपना बात
कहने लगा
आप लोग रामायण
और रामजी को मानते हो ?

दोनोँ ने कहा हाँ .....

तब यथा संभव आप लोगोँ को याद होगा
कि सीतामैया
का जन्म मिथला मैँ हुआ था
और उनका व्याह अयोध्या मे श्रीरामचंद्र जी से हुआ था....

तब हुए न रिस्तेदार...

😁😁😁😁😁😁😁😁😁😁😇😁😁

दोनोँ अछे घर के लौँडे थे
इसलिये वितर्क नहीँ किए
और तभी दोस्त बनगये .....

Extra shot
# दरभंगा
दरसल "दर ए बंग" शब्द का परिवर्तित अपभ्रंस रुप है
जिसका सिधा सा अर्थ है
"बंगाल का द्वार"

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