मेरा और मेरी झगड़ालु नकचढ़ी बहन मानिनी के बीच
सदैव होड़ लगा रहता था
कि कौन घर साफ करे
ज़ाहिर है..
ज्यादातर मानव बिना स्वार्थ कुछ करते वरते हैँ नहीँ ...,
हम दोनोँ का भी घर सफाई मे
नीजी स्वार्थ होता था
कैसी स्वार्थ ???
दरसल
मेरी माताजी जो है
रुपये पैसोँ को कहीँ भी रखदिआ करती थी
सो जो भी घर को झाड़ु लगाएगा
उसे 5 से दस रुपया तक तो ऐसे ही मिलजाएगेँ...
बाकी झाड़ु लगाने पर यदि कुछ रुपिये पैसे मिले नहीँ तो भी बकसीस् के तौर पर 2 रुपया
माँ से मिलना ही मिलना है
:-D :-D :-D :-D
कोई टिप्पणी नहीं:
एक टिप्पणी भेजें