रविवार, 21 फ़रवरी 2016

साफ सफाई करने मे भी स्वार्थ

मेरा और मेरी झगड़ालु नकचढ़ी बहन मानिनी के बीच
सदैव होड़ लगा रहता था
कि कौन घर साफ करे

ज़ाहिर है..
ज्यादातर मानव बिना स्वार्थ कुछ करते वरते हैँ नहीँ ...,

हम दोनोँ का भी घर सफाई मे
नीजी स्वार्थ होता था

कैसी स्वार्थ ???

दरसल
मेरी माताजी जो है
रुपये पैसोँ को कहीँ भी रखदिआ करती थी

सो जो भी घर को झाड़ु लगाएगा

उसे 5 से दस रुपया तक तो ऐसे ही मिलजाएगेँ...

बाकी झाड़ु लगाने पर यदि कुछ रुपिये पैसे मिले नहीँ तो भी बकसीस् के तौर पर 2 रुपया
माँ से मिलना ही मिलना है

:-D :-D :-D :-D

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