गाते रहते अनेकों प्रेमगीत
किसी प्रेमी के लिये रोज तुम ।
क्युँ गाते नहीं बंदे मातरम्
क्या देश से नफरत करते हो ?
याद है गानें बिछडन के
प्यार के मिलन के ईश्वर के.....
क्युँ याद नहीं शहादत वो
युं बन भुलक्कड बैठे हो ?
पागल हो किसी लडकी के पिछे
कभी देश को न पसंद किया !
इस देश से मिला है सबकुछ तुम्हे
बदले में तुमने क्या दिआ ?
अधिकारों के नारे लगा कर
तुम कर्तव्यों को जो भुले हो ।
ये भ्रष्टाचार तो तुमने फैलाया
तुम सब तो मन के मैले हो !!!!!
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