शनिवार, 9 सितंबर 2017

●●●●●अयं कः●●●●

एक अनपढ़ ब्राह्मण पाण्डाजी  थे वो एक दिन मिश्रा जी के यहां गये हुए थे
तभी वहां एक विद्वान पंडित रामेश्वर भारती आये ओर आकर मिश्रा जी से संस्कृत में बतियाने लगे ....
उन्होंने पांडाजीकि ओर उंगली दिखाते हुए मिश्रा जी से पुछा “अयं कः(ये कौन)
मिश्रा जी ने उनको बता दिया
फिर
जब कार्य खत्म हो जानेपर  रामेश्वर भारती जाने लगे पांडाजीने मिश्राजी से पुछा
का हो ! का वोलत रहे भैया ऊ....
“अयं कः” ?
आखिर कार ई अयं कः का क्या मतलब है ?

मिश्रा जी चिढते हुए बोले
बोल दिया सो बोल दिया
अब पुछने से मतलब ?

लेकिन पांडाजी जिद करने लगे सो मिश्रा जी ने
गम्भीर चेहरा बनाते हुए कहा....
ओहो !!!! कित्ता बडा़ गाली दे गये वो....
पता है आपको....?
कैसे पता होगा बोलो
बचपन में पढाई किए नहीं अब का खाक् समझेंगे
चलो जो हुआ सो हुआ
अब बडे आदमी ने बोल ही दिया है तो का कर सकते है भैया ?

पांडाजी के सफेद  आंख तुरंत लाल हो गये
गुस्से में स्वयं पर्शुराम समान रुप धर कर मिश्रा जी को कहने लगे

“मिश्राजी उ पंडित होगा उकरे घर मां' हमें गारी काहे दे रहा था ?”

ओर इत्ता कहके
पांडाजी
रामेश्वर भारती के पिछे दौडते हुए उन्हे कहने लगे

ओ पंडित
तुम अयं कः,तुम्हारा वाप अयं कः ,तुम्हारे सात पुस्ते अयं कः 😜😂🤣🤣🤣

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