शनिवार, 14 जनवरी 2017

उल्लु और कौवों मे दुशमनी कैसे हुआ.....

एक था उल्लु ...
वो एक दिन शाम को अपने घोसले से निकलकरके एक छोटी सी डाली पर जा बैठा था ...
कि एक चंचल चपलमति वालकने गुलेल से उसकी ओर एक ठो
मिट्टी का छोटा गोला छोडदिया....
अब वो छोटा सा गोला सिधा
उल्लु के मुंह से होते हुए उसके उदर मे चलगया....
वो वेचारा रातभर चिल्लाता रहा रोता रहा ....
उसकी कौन सुने ...
खैर सुबह को उसने कोयल से पुछा कि इससे छुटकारा पाने के लिए कौनो उपाय बताओ....
कोयल ने कहा मेरा  सौतेला भाई कौवा बडा बुद्धिमान है शायद वह कोई हल निकल ले...पर फिस लगेगी हां....
मरता क्या न करता ...
उल्लु राजी होगा ही होगा....
कोयल व उल्लु कौवे के पास गये...
कौवे ने उल्लु को कहा तुम्हारी
बिमारी ठिककरने के लिए एकच उपाय है....

उस दुष्ट वालक ने तुम्हारे उदर मे गुलेल  के जरिए छोटा सा एक मिट्टी का गोला दे मारा है
तो तुम जाओ ...

पासवाले पर्वत के उपर एक छोटा सा गड्ढा है उसमें सदा शीतल जल मिलता है...

तुम उसमें गले तक डुबे रहना...
कुछ ही मिन्टों मे तुम्हारे पेट का गोला गल् जाएगा....

उल्लु ने वैसा ही किया और वह स्वस्थ भी हो गया..

अब जब कौवा ने उल्लु को अपना फिस् मांगा वो मुकर गया....
कहने लगा अबे इसमें नया क्या है...
इ तो हमें भी पता था....
हम तो फिस ना देगें तुमने क्या नया करदिया...
कहते है तबसे कौवा उल्लु को देखते ही उसको मारने को दौडता है....

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